Hindi Poem अंतरिक्ष और आदमी

अंतरिक्ष और आदमी ............
कॉल बेल बजी 
बाहर आ कर देखा 
दरबारी लाल शर्मा खड़े हुए हैं 
हाथ में जलेबी फ़ाफड़ा के दो डब्बे हैं 
मैंने पूछा, ‘शर्मा जी भाभी जी की कोई ख़ुशख़बरी है ?’
चेहरे पे क्षणिक ग़ुस्सा दिखा,’ यार मजाक की  भी कोई हद होती है , पचपन साल की उम्र में उनसे ख़ुशख़बरी की बात , लगता है सठिया गए हो.’
‘फिर ?’
‘भाई टीवी देखना बंद कर दिया है क्या ? हमारा चन्द्रयान 
चंद्रमा की कक्षा में पहुँच गया है . हम भी दुनिया की बड़ी ताक़त बन गए हैं . लो जलेबी फ़ाफड़ा खाओ .’
जलेबी भी ली फ़ाफड़ा भी लिया पर सोच में पड़ गया.
आख़िर एक ताक़तवर मुल्क किसे कहते हैं ?
तभी कौंध गईं पिछले महीनों की चंद घटनाएँ 
एक अस्पताल में बच्चे अपनी जान इस लिए खो बैठे थे 
क्योंकि आइसीयू में उनके लिए जगह नहीं थी 
पर्याप्त डाक्टर नहीं थे 
लोग सड़क पर इसलिये लोग जान गवाँ देते हैं 
क्योंकि सड़कें गड्ढों से अटी पड़ी हैं 
इंसान की क़ीमत जानवर से कम आँकी जा रही है 
सही मामले में ताक़तवर तभी  बन सकते हैं 
जब हर एक जान की क़ीमत समझना शुरू कर दें 
सारी साइंस और टेक्नोलोजी की खोज उसके लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दें 
चंद्रमा , मंगल और उससे भी आगे 
आदमी को भेजना ज़रूरी है 
पर उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है 
इस धरा पर रहने वाले आदमी को आदमी समझना 
उसके लिए बुनियादी स्वास्थ्य , शिक्षा और सुरक्षा की व्यवस्था 

दरबारी लाल शर्मा इसे समझ लें तो बेहतर होगा. 

Comments

Popular posts from this blog

Is Kedli Mother of Idli : Tried To Find Out Answer In Indonesia

A Peep Into Life Of A Stand-up Comedian - Punit Pania

Searching Roots of Sir Elton John In Pinner ,London