Hindi Poem : एक सच यह भी
एक सच यह भी ..
जब चंद लोग
किसी मानव को भगवान बनाने की कोशिश करते हैं
तो वह हो जाता है अव्वल दर्जे का उश्रंखल
और साथ ही अमानवीय भी .
धीरे धीरे दिमाग़ पे
फिर बदन पर क़ब्ज़ा करने लगता है .
अपने जिस्म पर अश्लील तरीक़े से रेंगती हुई उसकी उँगलियों में कई को तो
कभी चर्च तो कभी मंदिर की घंटियाँ सुनाई देने लगती हैं
तब भी उसका शुक्राना अदा करते रहते हैं.
पूरी तरह से लुट पिट जाने के बाद
जब आँखें खुलती हैं
तब सामने एक ही रास्ता बचता है
दूसरों को भी इस दुश:चक्र में शामिल कर लें.
कई महापुरुष बाबाओं की ऐसे ही चल रही है .
अगर दस हज़ार में
कोई एक उसे खिलाफ हिम्मत जुटाता है
पूरा भीड़ तंत्र उसके पीछे पड़ जाता है,
चिल्ला चिल्ला कर कोसता है
कि पीछे अनास्थावादियों का षड्यंत्र है
उनकी आस्था को डुबोने की कोशिश है
कोई उसको छू कर दिखाए
उससे निपट लेंगें.
और सच्ची निपट भी लेते हैं.
जिनकी आँखे बंद हैं उन्हें जगाना आसान है
पर जिनकी आँखें खुली हैं और सो रहे हैं
उन्हें जगाना बहुत मुश्किल है .
- प्रदीप गुप्ता
जब चंद लोग
किसी मानव को भगवान बनाने की कोशिश करते हैं
तो वह हो जाता है अव्वल दर्जे का उश्रंखल
और साथ ही अमानवीय भी .
धीरे धीरे दिमाग़ पे
फिर बदन पर क़ब्ज़ा करने लगता है .
अपने जिस्म पर अश्लील तरीक़े से रेंगती हुई उसकी उँगलियों में कई को तो
कभी चर्च तो कभी मंदिर की घंटियाँ सुनाई देने लगती हैं
तब भी उसका शुक्राना अदा करते रहते हैं.
पूरी तरह से लुट पिट जाने के बाद
जब आँखें खुलती हैं
तब सामने एक ही रास्ता बचता है
दूसरों को भी इस दुश:चक्र में शामिल कर लें.
कई महापुरुष बाबाओं की ऐसे ही चल रही है .
अगर दस हज़ार में
कोई एक उसे खिलाफ हिम्मत जुटाता है
पूरा भीड़ तंत्र उसके पीछे पड़ जाता है,
चिल्ला चिल्ला कर कोसता है
कि पीछे अनास्थावादियों का षड्यंत्र है
उनकी आस्था को डुबोने की कोशिश है
कोई उसको छू कर दिखाए
उससे निपट लेंगें.
और सच्ची निपट भी लेते हैं.
जिनकी आँखे बंद हैं उन्हें जगाना आसान है
पर जिनकी आँखें खुली हैं और सो रहे हैं
उन्हें जगाना बहुत मुश्किल है .
- प्रदीप गुप्ता
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