विरासत ...................
कल मुझे एक मित्र ने बुलाया 
गपशप के बाद बोले,’ मित्र एक सही चाहिए तुम्हारी ‘
काग़ज़ निकाल कर सामने रख दिए 
मैंने पूछा ,’भाई, क्या है यह सब ?’
कहने लगे , ‘यार ज़िन्दगी का क्या भरोसा 
सोचता हूँ वसीहत लिख दूँ ,अपनी सम्पत्ति के बारे में 
अभी से तय कर दूँ किस को क्या मिलेगा 
नहीं तो बाद में लड़के लड़कियों में जूतम पैजार होगी
पत्नी को भी पता रहेगा उसके पास क्या रहेगा 
कम से कम मेरे बाद 
उसे किसी  के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा .‘
बात बड़े मार्के की कही थी उसने.
दस्तखत किए मगर सोच में पड़ गया 
अगर मुझे अपने वसीहत लिखने पड़े तो अपने पास क्या है ?
छोटी सी नौकरी में ज़िन्दगी कट गयी 
बच्चों की पढ़ाई, शादियाँ और दूसरी ज़िम्मेवरियाँ 
कहाँ से लाते बड़े बड़े बैंक बैलेंस, अचल सम्पत्तियाँ .
किसी तरह बस एक छत ज़रूर कर दी 
भगवान ने अपने सर पर .
पर मुझे लगता है हमारी विरासत 
इससे कहीं बड़ी हो सकती है 
रचते रहिए शब्दों का संसार 
आपके रचे हुए शब्द न सिर्फ़ पत्नी और बच्चों की 
बल्कि आने वाली पीढ़ियों की अमानत रहेंगे 
आख़िर रहीम, कबीर , तुलसी यही तो छोड़ कर गए हैं .
उससे भी बड़ी विरासत 
आपके द्वारा अपने बच्चों को दिए संस्कार हैं 
जो हमेशा अमानत की तरह से आपके पीछे भी सींचे जाएँगे 
आपके द्वारा संचित प्रेम के क्षण हैं
जो आपकी प्रेमिका के  साथ रहेंगे
वो प्रेमिका आपकी पत्नी भी हो सकती है .
फिर दोस्ती की विरासत भी कम नहीं 
आपके जाने के बाद दोस्त उसे सहेज कर रखेंगे  .
अपने घर के आसपास या कहीं भी कुछ पेड़ उगा दीजिए 
आपके जाने के बाद पक्षियों का बसेरा बनेंगे 
पथिकों के लिए झुलसते  सूरज में छाया बनेंगे.
यह सब आपके कैश , मकान , दुकान से कहीं बड़ी दौलत है 
इसके लिए कोई वसीहत लिख के जाने की ज़रूरत नहीं है.

                          - प्रदीप गुप्ता

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