Death Is A Illusion : Hindi Poem
मृत्यु की कविता .......
क्या तुम भी मृत्यु से भयभीत हो ?
क्या तुम रात को अचानक चौंक कर जाग जाते हो
और मृत्यु के बारे में सोच कर सिहर जाते हो
तुम्हारा बनियान पसीने से चिपचिपा हो जाता है
तो जाओ
किसी समुद्र तट पर शाम को खड़े हो जाओ
एक एक करके सूरज को सत रंगों में बदलता देखो
तुम्हें लग रहा है वह कुछ ही देर में पानी में डूब जाएगा
पर यह बड़ा भ्रम है
सूरज कहीं नहीं डूबता है
वह तो हमेशा की तरह अपनी जगह पर है
हाँ, हम और हमारी पृथ्वी कुछ इस तरह से उसके इर्द गिर्द घूमते हैं
इसलिए वह चंद घंटों के लिए आँख से ओझल हो जाता है
हमारा जीवन भी कुछ ऐसा ही है
बस देखने वाले की निगाह से ओझल होता है
वह तो चलता रहता है
निर्बाध अंतहीन यात्रा पर
फिर काहे मृत्यु की सोच के बनियान चिपचिपा करना.
शब्द प्रदीप गुप्ता छाया आइरिस
क्या तुम भी मृत्यु से भयभीत हो ?
क्या तुम रात को अचानक चौंक कर जाग जाते हो
और मृत्यु के बारे में सोच कर सिहर जाते हो
तुम्हारा बनियान पसीने से चिपचिपा हो जाता है
तो जाओ
किसी समुद्र तट पर शाम को खड़े हो जाओ
एक एक करके सूरज को सत रंगों में बदलता देखो
तुम्हें लग रहा है वह कुछ ही देर में पानी में डूब जाएगा
पर यह बड़ा भ्रम है
सूरज कहीं नहीं डूबता है
वह तो हमेशा की तरह अपनी जगह पर है
हाँ, हम और हमारी पृथ्वी कुछ इस तरह से उसके इर्द गिर्द घूमते हैं
इसलिए वह चंद घंटों के लिए आँख से ओझल हो जाता है
हमारा जीवन भी कुछ ऐसा ही है
बस देखने वाले की निगाह से ओझल होता है
वह तो चलता रहता है
निर्बाध अंतहीन यात्रा पर
फिर काहे मृत्यु की सोच के बनियान चिपचिपा करना.
शब्द प्रदीप गुप्ता छाया आइरिस

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