Hindi Poetry : Digital Hangover

                             डिजिटल हैंगओवर  

सिमट रहे सम्बंध हमारे अब तो डिजिटल मैसेज तक 
वट्स-अप और फ़ेसबुक के कट पेस्ट और पैसेज तक 

नहीं मिला करते टपरी पर दोस्त कटिंग के प्यालों को  
कितने दिन बीते रिश्तेदारों संग शेयर किए निवालों को 

कितने जन्मदिन पर अपने घर में नहीं पड़ोसी आए हैं 
फ़ेसबुक और वट्स-अप पर उनके पुष्पगुच्छ ही छाए हैं

बीमारी होने पर अपने इर्द गिर्द अब बीबी नज़र आती है 
हाँ, गेट वेल सून मेसेज से फ़ेसबुक की वाल भर जाती है 

आभासी दुनिया ने हमसे जीवन का रस छीन लिया 
रिश्तों की  गर्माहट से अपना रिश्ता सबसे टूट गया 

आओ मिल कर तकनीक के मकड़ जाल को काटें हम 
वापस चाय टपरी पर चल के दुःख दर्दों को बाटें हम 

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