वाइन नामा-3
शीर्ष वाइन उत्पादक देश
1. फ्रांस
सैकड़ों वर्षों से फ्रांस की पहचान दुनिया भर में वाइन के सबसे बड़े उत्पादक देश के रूप में बनी हुई है। लेकिन इन दिनों फ्रांस की यह प्रतिष्ठा दांव पर है क्योंकि चारों महाद्वीपों में बहुत सारे राष्ट्र वाइन उत्पादन में फ्रांस का स्थान लेने के लिए बहुत तेजी से आगे बढे हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि इन दिनों फ्रांस का वाइन उद्योग अपने आप को पुनः परिभाषित करने और कुछ नया कर गुजरने की कोशिश में है. इसीलिए आज भी यदि वाइन के अच्छे जानकार के लिए फ्रांस ही वह देश है जहाँ पर अपने लिए एक से एक बेहतरीन वाइन चुनना संभव है. इसका कारण यह है कि आज भी फ्रांस में एक से एक बढ़िया वाइन मिलती हैं. वैराइटी में तो फ्रांस का कोई मुकाबला नहीं , साथ ही वहां वाइन के दाम भी काफी वाजिब रहते हैं. फ्रेंच वाइन की गुणवत्ता जानने का सबसे सही तरीका यह है कि आप उसे उसको पी कर देखें !
फ्रांस की अधिकाँश वाइन के नाम प्रयुक्त अंगूर के नाम पर नहीं होते हैं, ये व्यक्ति, स्थान, नगर, क्षेत्र आदि पर होते हैं. नीचे मैं कुछ अच्छी फ्रेंच वाइन का जिक्र करना चाहूंगा :
विशेष अवसरों के लिए फ्रेंच वाइन -
बोरडो Bordeaux.
विशेष अवसरों के लिए बोरडो सबसे बढ़िया फ्रेंच वाइन है। सबसे बढ़िया एजिंग इसी वाइन की संभव है। जन्मदिवस, जीवन के अन्य महत्वपूर्ण प्रसंगों , अवकाश और मौज मस्ती अवसर कोई भी हो , पारखी लोगों की पहली पसंद निसंदेह बोरडो हैं.
बरगंडी Burgundy.
बरगंडी क्षेत्र में पिना नोर अंगूर से दुनिया की सबसे बेहतरीन वाइन बनती हैं . यह इलाका पिना नोर अंगूर को इतना रास आता है कि यहां के किसान अन्य किस्में नाम-मात्र को ही उगाते हैं। बरगंडी रेड वाइन- एजिंग प्रक्रिया के लिए बहुत ही स्वभाविक और बेहतरीन पसंद है, इसी लिए अवसर कोई भी हो बरगंडी रेड की बॉटल विशेष मानी जाती है. जिन वाइन की बॉटल के लेबल पर पर 'ग्रैंड क्रू ' या फिर 'प्रीमियम क्रू ' अंकित रहता है, इसका अर्थ है की यह वाइन बरगंडी के सबसे अच्छे विनयार्ड के अंगूरों से बनाई गयी है।
शैम्पेन Champagne.
शैम्पेन का सारा इलाका अंगूर की खेती के लिए बहुत ही उपयुक्त है , यहाँ के पहाड़, नदियां आद्रता के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक हैं. यहाँ जाड़े का मौसम भी अधिक ठंडा नहीं रहता है. गर्मी के मौसम में लगातार धूप खिली रहती है, मिटटी चाक मिली है जिससे परावर्तित हो कर सूरज की किरणें अंगूर की बेलों पर पड़ती हैं , नतीजा यह कि इससे अधिकतम रौशनी और गर्मी मिलती है। यही कारण है कि यहाँ तैयार होने वाली वाइन एक से बढ़ कर एक हैं.
वैसे भी शैम्पेन रीजन स्पार्कलिंग वाइन का पर्याय बन चुका है।
2. इटली
इटली में लगभग अंगूर की लगभग 800 वैराइटी उगाई जाती हैं , यहाँ 20 रीजन विशेष रूप से अंगूर संवर्धन के लिए विकसित किये गए हैं , वैसे भी यहाँ कई सौ वर्षों से वाइन बनाने की समृद्ध परम्परा चली आ रही है. यूँ कहें कि इटली का वाइन परिदृश्य अंगूर से प्याले का
रोमांच है !
रोमांच है !
टस्कनी और पीडमांत इटली के सबसे समृद्ध अंगूर और वाइन उत्पादक क्षेत्र हैं इनके बाद नंबर वेनेतो ,टरेन्टीनो -आल्टो अडिगे और फ़्रियलि का आता है। इटली में बनने वाली वाइन को प्रमुख रूप से दो श्रेणी में रखा जा सकता है :
- टेबल वाइन
- उच्च-स्तरीय Denominazione di Origine Controllata e Garantita (DOCG)
दूसरी ओर उच्च श्रेणी वाइन रेंज गुड से सुपीरियर मार्किंग के साथ आती हैं। इटली में अंगूर की 2000 से भी अधिक स्थानीय वैराइटी हैं जो इस प्रायद्वीप में मौसम और प्राकृतिक परिवेश की विविधता के कारण फलती फूलती रहती हैं. इटली की जैसी समृद्ध क्षेत्रीय संस्कृति हैं वैसे ही यहां के समृद्ध वाइन कॉम्बिनेशन भी हैं. टस्कन,बरोलो, बारबारेस्को, कीअंति क्लास्सिको रिजर्वा और अमारोने सुपर वाइन हैं , इनके दाम मंहगे रहते हैं.
3. स्पेन
स्पेन में क्षेत्रफल की दृष्टि से दुनिया भर में सबसे ज्यादा खेती की जाती है। लेकिन यह भी सच है कि फ्रांस और इटली की तुलना में उपज कम है. स्पेन में वाइन का वर्गीकरण विभिन्न वाइन क्षेत्रों के अनुसार किया गया है. हर क्षेत्र का अपना अलग वाइन क़ानून हैं और अलग क्वालिटी मानक हैं. इन मुख्य वाइन रीजन की संख्या 69 है। इनमें से प्रमुख रिजा , रिबेर डेल डुएरो, पेन्डेस, नवारा , रुएडा, कावा, रियास बिक्सास, जेरेज़, और ला मंचा हैं। स्पेन में वाइन के नाम अंगूर की वैराइटी पर न रख कर उनके मूल स्थान के हिसाब से रखे जाते हैं, इसका अर्थ यह है कि वहां मिलने वाली वाइन के बारे में सही सही समझने के लिए उस वाइन क्षेत्र के बारे में थोड़ा बहुत जानना होगा। वैसे स्पेन के काफी सारे वाइन निर्माता बॉटल के लेबल पर प्रयुक्त अंगूर की वैराइटी का भी उल्लेख करते हैं।
4. अमेरिका
अमेरिका में वाइन उत्पादन का इतिहास 400 वर्ष पुराना है। यहाँ 90 प्रतिशत वाइन कैलिफोर्निया के नापा और सोनोमा क्षेत्र में होती है। इन दिनों दुनिया का सबसे बड़ा वाइन उत्पादक गालो है जो कैलिफोर्निया के मॉडेस्टो इलाके से है। नापा और सोनोमा में कैबरने साविनियां ,मारलो, पिनो नार, जिनफैडेल, साविनयां ब्लांक अंगूर की खेती की जा रही है . वैसे तो अमेरिका के हर राज्य में वाइन बनाई जाती है लेकिन ज़्यदातर राज्यों में बनने वाली वाइन स्थानीय क्षेत्र में ही खप जाती है. कैलिफोर्निया राज्य के बाद अगला नंबर वाशिंगटन, ओरेगन और न्यू यॉर्क राज्यों का है जहाँ वाइन उत्पादन बड़े स्तर पर किया जा रहा है और इन राज्यों में बनने वाली वाइन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उपलब्ध हैं .
5. अर्जेंटीना
अर्जेंटीना हाल ही के वर्षों में वाइन उत्पादक देशों के सामने बड़ी चुनौती बन कर उभरा है. शीर्ष के पांच वाइन उत्पादक देशों में सबसे ज्यादा व्यवसाय वृद्धि दर अर्जेंटीना की है ।यहां के वाइन उत्पादन के बड़े भाग का निर्यात हो जाता है। अर्जेंटीना में मुख्य रूप से कैबरने साविनियां, मेलबेक,शारदोने,बोनारदा वैराइटी की खेती की जाती है।
6. आस्ट्रेलिया
अर्जेंटीना की तरह आस्ट्रेलिया भी अपने वाइन उत्पादन का बड़ा हिस्सा बाहर भेज देता है. हाल ही के वर्षों में आस्ट्रेलिया ने अपने निर्यात को एशिया देशों में खास तौर से बढ़ाया है।
यहाँ सबसे ज्यादा वाइन रिवर-लैंड क्षेत्र में बनती है.यहाँ अंगूर की जिन वैराइटी से वाइन बनती है उनमें शुराज और शारदोने प्रमुख हैं।
7. जर्मनी
जर्मनी की पहचान सुवासित वाइट वाइन से है।यहाँ निर्यात मुख्य रूप से अमेरिका और ब्रिटेन को किया जाता है. यहां पर रिजलिंग और म्युलर - तूरगाओ अंगूरों की खेती ज्यादा की जाती है. सबसे ज्यादा उत्पादन मोजेल जार रूवर रीजन में होता है, यहां के बागान दुनिया के सबसे ढालू पहाडियों पर अवस्थित हैं.
8. दक्षिणी अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका अपने शेनिन ब्लांक अंगूरों के कारण दुनिया में जाना जाता है। विश्व में सबसे ज्यादा ब्रांडी का उत्पादन भी यहीं होता है। वैसे दक्षिण अफ्रीका की वाइन-मैप पर पहचान उसकी रिजलिंग, शारदोने, साविनयां ब्लांक, सेमिलान वाइट वाइन के कारण भी है. यहाँ ड्राई वाइन के अलावा फोर्टिफाइड और पोर्ट-स्टाइल, और लेट हार्वेस्ट स्वीट वाइन भी खूब बनती हैं।
9. चिली
चिली अपनी रेड वाइन वैराइटी कारमेनेयर के लिए जाना जाता है , यह बोरडो की मूल लुप्त प्राय वैराइटी है. लेकिन यहाँ से निर्यात की जाने वाली वाइन में केबेरने साविगनान, शारदोने ,मारलो , साविगनान ब्लांक किस्म के अंगूरों से बनी वाइन भी शामिल हैं।
10. पुर्तगाल
पुर्तगाल की वाइन जगत में पहचान सस्ते किस्म की पोर्ट वाइन से है। यह उत्तरी पुर्तगाल के इलाके में कई किस्म के अंगूरों को मिला कर बनाई जाती है, इसमें अल्कोहल की मात्रा ज्यादा रहती है और इसे डेजर्ट वाइन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. तिनता रोजिश, तोरिगा नेशनल, एलीकैंट बोशेत, अलवारीहो, अरिनटो वहां उगाई जाने वाले अंगूरों की किस्में हैं। दौरो और लिस्बन रीजन में सबसे ज्यादा अंगूर उगाये जाते हैं।
संभावना से भरे कुछ नए देश
चीन
पिछले कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय वाइन परिदृश्य पर चीन बहुत ही गंभीर खिलाड़ी के तौर पर उभरा है.इस समय यहां का वाइन व्यवसाय दूसरे वाइन उत्पादक देशों की तुलना में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, इस समय चीन के वाइन निर्माताओं का पूरा फोकस रेड वाइन पर है इनमें केबेरने साविगनान और बोरडो किस्में मुख्य हैं.
चीन के मुख्य वाइन-केंद्रित रीजन :
शांगरी ला काउंटी . इस रीजन की पहचान पुराने ज़माने से चाय उत्पादक के रूप में रही है , लेकिन इन दिनों यह सबसे ज्यादा वाइन उत्पादन करने वाले क्षेत्र के रूप में उभर कर आया है। यह पूरी तरह से पर्वतों का इलाका है और यहाँ की हरियाली और प्रकृतिक सुंदरता में विनयार्ड से चार चाँद लग गए हैं . कुछ विनयार्ड तो समुद्र तल से 2600 मीटर की ऊंचाई पर हैं, यहाँ की ऊंचाई, ठंडक और लगातार मिलने वाली धूप केबेरने साविगनान जैसे लम्बे समय में पकने वाले अंगूरों के लिए आदर्श है. सिंग्ताओ रीजन पहले बियर के लिए मशहूर था यहाँ वाइन बनाने की गतिविधि सन 1800 से चली आ रही है , आजकल आधुनिक तकनीक से वाइन बनाना हाल ही के वर्षों में शुरू हुआ है, इस समय यहाँ वाइनरी की संख्या 150 से भी अधिक है. तटीय क्षेत्रों में यनताई काफी आगे है यहाँ की गर्म जलवायु मारलो , शारदोने और कैबेरने साविगनान के लिए बहुत उपयुक्त है.
जापान
यमानाशी जापान के व्यवसायिक केंद्र टोक्यो से दक्षिण पश्चिम में माउंट फ्यूजी की तलहटी में है, प्रकृति ने यहां बेहद सुंदरता बिखेरी है , इस लिए यहां पर्यटक का तांता लगा रहता है. जलवायु आर्चर्ड फलों के लिए एक दम उपयुक्त है , पिछले कई वर्षों से यह जापान के वाइन उत्पादन का केंद्र बन गया है. जापान में अंगूर की दो प्रमुख वैराइटी कोशु और मस्कट बैले हैं. कोशु से वाइट और मस्कट बैले से रेड वाइन बनती है। इस समय यमानाशी क्षेत्र में अस्सी से भी अधिक वाइन निर्माता हैं, इनमें संतोरी सबसे प्रमुख हैं । लेकिन एक सच यह भी है कि स्थानीय वाइन उत्पादन जापान के कुल वाइन उपभोग का केवल एक-तिहाई ही है।
थाईलैंड
राजधानी बैंकाक से उत्तर में दो घंटे की ड्राइव पर खाओ याई अवस्थित है यहां देश के सबसे अच्छे विनयार्ड और वाइनरी हैं। 1990 के आस पास थाईलैंड के तत्कालीन शासक राजा भूमिबल ने इस क्षेत्र की क्षमता को पहचान कर वाइन-गुणवत्ता के अंगूरों के बागान विकसित किये। इस इलाके में सर्दियों में पारा 11 डिग्री तक गिर जाता है। इलाके में मिटटी काफी अलग-अलग किस्म की है , जिसमें दोमट, टेरा रोजा और लाइम स्टोन शामिल है. इसलिए यहाँ शेनिन ब्लांक , वियोन्ये , वरडेलो और सीरा किस्में सफलतापूर्वक उगाई जा रही हैं. यहाँ की अशोक वैली में ग्रान मोंते वाइनरी और उसका बागान 16 हेक्टेयर में फैला हुआ है। वाइनरी की वाइट वाइन हेरिटेज सीरा और रेड स्प्रिंग शेनिन ब्लांक को 2010 से कई बार विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं.
इंडोनेशिया
इंडोनेशिया में बाली द्वीप ने विश्व मैप पर अपनी छोटी सी पहचान बनाई है. 12 वर्ष पहले बाली में बनी वाइन की टेस्टिंग के दौरान लोग बाग़ नाक भौं सिकोड़ने लगते थे. सच यह है कि यहाँ की उष्ण कटि- बंधीय जल वायु में परम्परागत अंगूरों से वाइन बनाना चुनौती भरा कार्य है। बीस वर्ष तक ट्रायल-एरर करते करते अब यहाँ के वाइन निर्माताओं को न्यू यॉर्क टाइम्स जैसे समाचार-पत्र ने भी गंभीरता से लिया है। रोचक बात यह है कि यहाँ वाइन परंपरागत रूप से उगाये गए अंगूरों से बनाई जा रही है। बेलगिए से वाइट , प्रोबोलिंग्गो बीरु से स्पार्कलिंग , अलफोंसे-लेवेली से रेड बनाई जा रही है. ज्यादातर प्रीमियम विनयार्ड द्वीप के उत्तरी भाग में हैं. इधर जलवायु शुष्क है और अन्य भागों के अपेक्षाकृत ठंडी रहती है, पहाड़ों से शुद्ध मिनरल युक्त जल का बहाव जारी रहता है , बाली द्वीप पर मिटटी ज्वालामुखी के सूखे लावा से युक्त है जो अंगूर की कई किस्मों के लिए काफी उपयुक्त है। यही नहीं यहाँ के अंगूरों में आसानी से बीमारी नहीं लगती न ही फंगस जमने की सम्भावना रहती है. बाली में प्रमुख वाइनरी हट्टन वाइन है जिनके विनयार्ड सनूर कसबे के पास 35 हेक्टेयर में फ़ैले हुए हैं , इस वाइनरी में स्टेट ऑफ़ आर्ट उपकरण हैं और अच्छे वाइन विशेषज्ञ हैं जिसके कारण यहाँ की बनी वाइन का जिक्र अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने लगा है.
भारत में वाइन अन्य वाइन प्रेमी देशों की तुलना में बहुत कम पी जाती है। हाल ही के वर्षों में तमाम प्रचार-प्रसार के वावजूद हमारी खपत छोटे से वाइन प्रेमी देश फ़्रांस की तुलना में केवल 1/800 ही है.कई राज्यों में शराब बंदी और वाइन के महंगे दाम भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं. एक बात और, आज भी अपने यहाँ के मदिरा प्रेमियों की पहली पसंद व्हिस्की है.
1980 तक भारत में वाइन गुणवत्ता के अंगूर का उत्पादन नगण्य था. पिछले दस वर्षों में भारतीय वाइन उद्योग धीरे धीरे विकास की और अग्रसर हो रहा है, यही नहीं,मेट्रो इलाकों में वाइन जीवन शैली का हिस्सा बनती जा रही है.
भारत में मोटे तौर पर 1,23,000 एकड़ विनयार्ड हैं , लेकिन इनका मुश्किल से 1 -2 प्रतिशत क्षेत्र का उत्पाद ही वाइन निर्माण के काम में आ रहा है.
देश में पांच-छै उत्पादक रीजन है :
नासिक, पुणे , बंगलौर, हम्पी हिल्स , बीजापुर, उत्तरी कर्नाटक।
आइये ज़रा थोड़ा इन रीजन की वाइन गतिविधियों के बारे में चर्चा कर लें.
नासिक .
नासिक को देश की वाइन राजधानी माना जाने लगा है. गोदावरी नदी से सटे इस क्षेत्र में उष्ण कटि बन्धीय जलवायु रहती है ,जाड़ों में जिस तरह पारा घटता- बढ़ता रहता है वह कैबेरने सविगनान के लिए उपयुक्त है, इसकी फसल 185 दिनों में तैयार हो जाती है.
इस क्षेत्र में छोटी बड़ी मिला कर 30 वाइनरी हैं , इनमें से कई के अपने टेस्टिंग रूम भी हैं. मैं 2008 में यहां की सुला वाइन में वाइन टेस्टिंग के लिए गया था , उन्होंने अपना टेस्टिंग रूम कुछ ही महीने पूर्व प्रारम्भ किया था , लेकिन वहां मुझे उस जीवंतता और प्रोफेशनल हुनर की कमी दिखी जिसके कारण वाइन प्रेमी बार बार किसी वाइनरी में जाते हैं और हर बार कोई न कोई सुखद अनुभव के साथ वापस आते हैं.
दक्षिण भारत
स्वाद का सम्बन्ध जिह्वया में मौजूद 1000 से भी अधिक टेस्ट-बड होते हैं. जैसे ही वाइन जिह्वया में मौजूद टेस्ट बड के संपर्क में आती है हमें उसका स्वाद एहसास होता है जो मीठा , खट्टा या कड़वा कुछ भी या फिर मिला जुला हो सकता है . लेकिन यह भी सच है कि सभी वाइन में थोड़ा सा कड़वापन रहता है क्योंकि बुनियादी तौर पर अंगूर में कुछ अंश अम्ल होता है. यह जहाँ ये अंगूर उगाये गए हैं वहां की जलवायु और अंगूर की नस्ल पर निर्भर करता है. लेकिन कुछ अंगूर की किस्म अपने कड़वे पन के लिए खासतौर पर जानी जाती हैं , इस सम्बन्ध में, मैं पीनो गार्जिओ का उल्लेख करना चाहता हूँ , यह कुछ कुछ टॉनिक वाटर का एहसास कराती है। कुछ वाइट टेबल वाइन बनने की प्रक्रिया के दौरान थोड़ा सी ग्रेप शुगर को समाहित कर लेती हैं इस लिए इनमें स्वाभाविक मीठेपन का अनुभव होता है. वाइन में नमकीन अहसास बहुत कम मिलेगा। लेकिन समुद्र तट के समीप उगाई गयी शैरी और मसकादे किस्मों से बनी वाइन में नमकीन अहसास भी मिल जाता है।
संरचना. आपकी जीभ जब वाइन का स्पर्श करती है तो वह उसकी
संरचना या टेक्सचर को अनुभव करती है. वाइन में टेक्सचर कई बातों पर निर्भर करता है, अल्कोहल की मात्रा बढ़ने से टेक्सचर भी बढ़ जाता है। एथेनॉल वाइन को टेक्सचर इस लिए देता है क्योंकि हम इसे पानी ज्यादा सम्पन्न मानते हैं. हम जीभ से टैनिन को पहचान सकते हैं क्योंकि यह रेड वाइन में सैंड पेपर जैसा प्रभाव देता है, यानी उसको स्पर्श करके जीभ में शुष्कता सी अनुभव होती है.
विस्तार. वाइन का स्वाद समयबद्ध होता है, इसमें प्रारम्भ, बीच का स्वाद और फिनिश तीन तत्व रहते हैं। यह अहसास आपको तभी हो पायेगा जब आप अपने ड्रिंक का पूरा आनंद लें।
4. सोच
अब वह मकाम आ गया है जब आपको एक पल के लिए सोचना होगा कि आपकी वाइन का स्वाद संतुलित था या फिर इसका संतुलन कुछ बिगड़ा हुआ था अर्थात क्या यह ज्यादा अम्लीय , ज्यादा अल्कोहल युक्त या फिर ज्यादा टैनिन युक्त तो नहीं था ? आपको वाइन अच्छी लगी ? क्या यह वाइन यादगार अनुभव था या फिर मजा नहीं आया ? कोई ऐसी अभिलक्षणा चमक कर दिल को छू गयी जिसे आप याद रख सकें।
आइये ज़रा थोड़ा इन रीजन की वाइन गतिविधियों के बारे में चर्चा कर लें.
नासिक .
नासिक को देश की वाइन राजधानी माना जाने लगा है. गोदावरी नदी से सटे इस क्षेत्र में उष्ण कटि बन्धीय जलवायु रहती है ,जाड़ों में जिस तरह पारा घटता- बढ़ता रहता है वह कैबेरने सविगनान के लिए उपयुक्त है, इसकी फसल 185 दिनों में तैयार हो जाती है.
इस क्षेत्र में छोटी बड़ी मिला कर 30 वाइनरी हैं , इनमें से कई के अपने टेस्टिंग रूम भी हैं. मैं 2008 में यहां की सुला वाइन में वाइन टेस्टिंग के लिए गया था , उन्होंने अपना टेस्टिंग रूम कुछ ही महीने पूर्व प्रारम्भ किया था , लेकिन वहां मुझे उस जीवंतता और प्रोफेशनल हुनर की कमी दिखी जिसके कारण वाइन प्रेमी बार बार किसी वाइनरी में जाते हैं और हर बार कोई न कोई सुखद अनुभव के साथ वापस आते हैं.
पिछले कुछ वर्षों में नासिक के आस पास में विनयार्ड की संख्या में अच्छी वृद्धि हुई है , इनमें से ज्यादातर सांजेगॉव, गगनपुर डैम और डिंडोरी जनपदों में अवस्थित हैं. डिंडोरी की मिट्टी और आवोहवा क्वालिटी अंगूरों के लिए सबसे अच्छी है. डिंडोरी की पहचान यहाँ की शांदन (Chandon) और शारोजा (Charosa) वाइनरी के कारण भी है। यदि पूरे नासिक रीजन की बात करें तो यहाँ की सबसे लोकप्रिय वाइनरी सुला, सोमा और यॉर्क हैं. ये तीनों गगनपुर डैम के पास में ही अवस्थित हैं। दो अन्य अच्छी वाइनरी यूटोपिया और फारमोत्स्व यहां से कोई ज्यादा दूर नहीं हैं, अच्छी बात यह है कि इन दोनों के यहाँ वाइन टेस्टिंग के लिए आने वाले वाइन-प्रेमियों के लिए बुटीक होटल जैसी आवासीय व्यवस्था भी उपलब्ध है. नासिक के पूर्व में एक घंटे की ड्राइव पर विंचूर में हाल ही में भारत का पहला वाइन पार्क बना है, यहाँ पर स्थानीय वाइनरियों में बनने वाली वाइन का बड़ा कलेक्शन उपलब्ध है, यहाँ सभी स्थानीय वाइनरी में बनने वाली वाइन फैक्ट्री दरों पर मिलने लगी हैं। वाइन टेस्टिंग के लिए आने वाले लोगों की सुविधा के लिए आवास व्यवस्था भी की गई है। अगर आस पास की बात करें तो इगतपुरी, ओझर, निफाड़ में भी वाइन उत्पादन का सिलसिला शुरू हो चुका है।
पुणे . पुणे मह्त्वपूर्ण आई टी हब तो है ही , साथ ही इस क्षेत्र की पहचान कुछ वर्षों में यहाँ के विनयार्ड की वजह से भी होने लगी है। नगर और उसके आस पास का इलाका समुद्र तल से 500 से 600 मीटर की ऊंचाई है , यहाँ का हवा-पानी और मिट्टी अंगूर की खेती के लिए बहुत ही उपयुक्त है। इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और मशहूर विनयार्ड डेक्कन प्लेटो वाइनरी बुरकेगांव कसबे से कुछ ही किलोमीटर पर है। बारामती और रोटी पुणे से दो घंटे दूरी पर हैं. इस क्षेत्र में शिराज़ केबेरने अंगूरों से बहुत ही क्रिस्प वाइट वाइन बन रही है। अकलुज में मिट्टी में उपजाऊपन कम है , बारिश कम गिरती है , यह जलवायु यहाँ साविगनान, शारदोने और मुलेर तुरगो किस्मों के लिए उपयुक्त पायी गयी है. फ्राटेली वाइंस और फोर सीजंस यहां के दो सबसे बड़े वाइन निर्माता हैं.
पुणे . पुणे मह्त्वपूर्ण आई टी हब तो है ही , साथ ही इस क्षेत्र की पहचान कुछ वर्षों में यहाँ के विनयार्ड की वजह से भी होने लगी है। नगर और उसके आस पास का इलाका समुद्र तल से 500 से 600 मीटर की ऊंचाई है , यहाँ का हवा-पानी और मिट्टी अंगूर की खेती के लिए बहुत ही उपयुक्त है। इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और मशहूर विनयार्ड डेक्कन प्लेटो वाइनरी बुरकेगांव कसबे से कुछ ही किलोमीटर पर है। बारामती और रोटी पुणे से दो घंटे दूरी पर हैं. इस क्षेत्र में शिराज़ केबेरने अंगूरों से बहुत ही क्रिस्प वाइट वाइन बन रही है। अकलुज में मिट्टी में उपजाऊपन कम है , बारिश कम गिरती है , यह जलवायु यहाँ साविगनान, शारदोने और मुलेर तुरगो किस्मों के लिए उपयुक्त पायी गयी है. फ्राटेली वाइंस और फोर सीजंस यहां के दो सबसे बड़े वाइन निर्माता हैं.
दक्षिण भारत
दक्षिण भारत में बैंगलोर के आसपास कई सारे वाइनरी और विनयार्ड हैं। यह इलाका समुद्र तल से 800 से लेकर 950 मीटर की ऊंचाई पर है इसलिए यहाँ का मौसम पूरे वर्ष सुहावना रहता है यानि न ज्यादा ठंडा न ही ज्यादा गरम, इसलिए यहाँ अच्छे किस्म के अंगूर उगाना आसान है. भारतीय वाइन उद्योग के पितामह कँवल ग्रोवर ने अपना पहला विनयार्ड नन्दी हिल्स में लगाया था. कैबेरने और साविगनान ब्लांक यहाँ सफलता पूर्वक उगाई गयीं। यहां की मिटटी में पत्थर, चट्टानी चूरा और लाइमस्टोन मिला हुआ है जिसके कारण शारदोने, केबेरने साविगनान, शीराज़ जैसी उम्दा क्वालिटी के अंगूर उगाना भी संभव हो सका. यहां ग्रोवर्स के अलावा ,सोम विनयार्ड्स,
जम्पा विनयार्ड्स, अल्पाइन वाइनरी, एसयूडी वाइनरी भी कार्यरत हैं.
हम्पी हिल्स. यह पूरा क्षेत्र लुढ़कते पथ्थरों से बना बेहतरीन लैंडस्केप है, और तुंग और भद्रा नदी के मेलमिलाप का स्थल है , समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 590 मीटर है, शीतोष्ण जलवायु के कारण यहाँ केबेरने साविगनान और साविगनान ब्लांक किस्में अच्छी तरह से फलती फूलती हैं। हम्पी नगर से उत्तर में दो घंटे की ड्राइव पर जलकुंटा गांव में क्रस्मा वाइनरी है जिसके विनयार्ड 160 हेक्टेयर में फैले हुए हैं। इस की गणना भारत की बेहतरीन वाइनरी में होती है। वाइनरी का नाम उसके के सह- संस्थापक कृष्ण प्रसाद और उमा चीगुरुपति के नामों का संक्षिप्त रूप है. यहाँ की बिशेषता साविगनान ब्लांक वाइन है.
बीजापुर और उत्तरी कर्नाटक. यह रीजन गोवा , तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से बहुत समीप है. ये तीनों ही राज्य देश के महत्वपूर्ण उपभोक्ता बाज़ार हैं. यहां के आंतरिक इलाके उष्ण और शुष्क हैं इस लिए आवो- हवा अंगूरों के लिए अनुकूल है क्योंकि ये बहुत अच्छी तरह पक जाते हैं. यही कारण है कि दूसरे रीजन की वाइनरी यहां अंगूर मंगवाती हैं. बहुत काम लोगों को यह पता है कि कर्नाटक की 21 में 11 वाइनरी इसी क्षेत्र में हैं। निसर्ग विनयार्ड और इलीट विंटेज इस क्षेत्र के दो बड़े वाइन उत्पादक हैं.
अपनी वाइन का पूरा आनंद कैसे लें
दूसरी स्पिरिट और लिकर से ठीक उलट वाइन का सेवन अपने आप में एक ललित कला है। प्रश्न यह है कि सही आनंद कैसे उठाया जाए.वाइन को परखने और इसका आनंद लेने के लिए पारखियों ने चार गुरु-मंत्र बताये हैं.
1. देखना परखना
1. देखना परखना
वाइन का सही आनंद उठाने के लिए सबसे पहले उसका रंग, अपार्यता और गाढ़ापन देखने की जरुरत है. गाढ़ेपन को तकनीकी भाषा में वाइन के पैर कहा जाता है ! ज़रा सी वाइन लेकर गॉब्लेट में किनारे से डालिये और देखिये की उसे नीचे तक पहुँचने में कितना समय लगता है, इसे वाइन के पैर देखना कहते हैं। वाइन जितनी देर से नीचे जायेगी उसमें उतनी ही ज्यादा अल्कोहल होगी. इस पूरी प्रक्रिया में 5 से 10 सेकेण्ड लगेंगे। दरअसल वाइन की क्वालिटी का काफी कुछ एहसास उसे देख कर हो जाता है। इन दिनों यह काम वाइन कंपनियों ने आसान कर दिया है , वे सामान्यत बॉटल के रैपर पर प्रयुक्त अंगूर की वैराइटी, आयु , अम्लता जैसे विवरण अंकित करते हैं।
2. सुवास
यह भी महत्वपूर्ण चरण है. पीने से पूर्व वाइन को सूंघ कर देखिये आपको कई गंधों का एहसास होगा। क्या इसमें फल की गंध है ? यदि हाँ तो ध्यान दीजिये किस किस्म के फल की है, मसलन वाइट वाइन में साइट्रस, आर्चर्ड या फिर उष्ण कटिबंधी यानि ट्रॉपिकल की हो सकती है। रेड वाइन टेस्ट कर रहे हों तो ध्यान दीजिये रेड, ब्लैक या फिर ब्लू फ्रूट्स या फिर कोई बेरी हो सकती है। सच तो यह है कि अंगूर से बनी वाइन में गंध का खजाना छुपा रहता है। इसे नोज आफ वाइन भी कहते हैं , इसे तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है :
मूल एरोमा. ये एरोमा अंगूर-व्युत्पन्न होते हैं इनमें फल, जड़ी बूटी या फिर पुष्प का एहसास मिलेगा .
अनुपूर्वक एरोमा. इसका आगमन वाइन बनाने में अपनाई जाने वाली अलग अलग प्रक्रियाओं के कारण होता है, वाइट वाइन में इसका पता बहुत जल्दी लगता है : ये बादाम, मूंगफली , चीज़ या पुरानी बियर कुछ भी गंध हो सकती है .
मूल एरोमा. ये एरोमा अंगूर-व्युत्पन्न होते हैं इनमें फल, जड़ी बूटी या फिर पुष्प का एहसास मिलेगा .
अनुपूर्वक एरोमा. इसका आगमन वाइन बनाने में अपनाई जाने वाली अलग अलग प्रक्रियाओं के कारण होता है, वाइट वाइन में इसका पता बहुत जल्दी लगता है : ये बादाम, मूंगफली , चीज़ या पुरानी बियर कुछ भी गंध हो सकती है .
तीसरे चरण के एरोमा. ये एजिंग प्रक्रिया के कारण समाहित हो जाते हैं। जो वाइन एजिंग के लिए ओक बैरल में रखी जाती हैं उनमें भुने नट्स, मसाले , देवदार , पतझड़ के दौरान गिरी पत्तियों , तम्बाखू , चमड़ा , वनीला यहाँ तक नारियल तक की गंध हो सकती है.
3. आस्वाद
स्वाद का सम्बन्ध जिह्वया में मौजूद 1000 से भी अधिक टेस्ट-बड होते हैं. जैसे ही वाइन जिह्वया में मौजूद टेस्ट बड के संपर्क में आती है हमें उसका स्वाद एहसास होता है जो मीठा , खट्टा या कड़वा कुछ भी या फिर मिला जुला हो सकता है . लेकिन यह भी सच है कि सभी वाइन में थोड़ा सा कड़वापन रहता है क्योंकि बुनियादी तौर पर अंगूर में कुछ अंश अम्ल होता है. यह जहाँ ये अंगूर उगाये गए हैं वहां की जलवायु और अंगूर की नस्ल पर निर्भर करता है. लेकिन कुछ अंगूर की किस्म अपने कड़वे पन के लिए खासतौर पर जानी जाती हैं , इस सम्बन्ध में, मैं पीनो गार्जिओ का उल्लेख करना चाहता हूँ , यह कुछ कुछ टॉनिक वाटर का एहसास कराती है। कुछ वाइट टेबल वाइन बनने की प्रक्रिया के दौरान थोड़ा सी ग्रेप शुगर को समाहित कर लेती हैं इस लिए इनमें स्वाभाविक मीठेपन का अनुभव होता है. वाइन में नमकीन अहसास बहुत कम मिलेगा। लेकिन समुद्र तट के समीप उगाई गयी शैरी और मसकादे किस्मों से बनी वाइन में नमकीन अहसास भी मिल जाता है।
संरचना. आपकी जीभ जब वाइन का स्पर्श करती है तो वह उसकी
संरचना या टेक्सचर को अनुभव करती है. वाइन में टेक्सचर कई बातों पर निर्भर करता है, अल्कोहल की मात्रा बढ़ने से टेक्सचर भी बढ़ जाता है। एथेनॉल वाइन को टेक्सचर इस लिए देता है क्योंकि हम इसे पानी ज्यादा सम्पन्न मानते हैं. हम जीभ से टैनिन को पहचान सकते हैं क्योंकि यह रेड वाइन में सैंड पेपर जैसा प्रभाव देता है, यानी उसको स्पर्श करके जीभ में शुष्कता सी अनुभव होती है.
विस्तार. वाइन का स्वाद समयबद्ध होता है, इसमें प्रारम्भ, बीच का स्वाद और फिनिश तीन तत्व रहते हैं। यह अहसास आपको तभी हो पायेगा जब आप अपने ड्रिंक का पूरा आनंद लें।
4. सोच
अब वह मकाम आ गया है जब आपको एक पल के लिए सोचना होगा कि आपकी वाइन का स्वाद संतुलित था या फिर इसका संतुलन कुछ बिगड़ा हुआ था अर्थात क्या यह ज्यादा अम्लीय , ज्यादा अल्कोहल युक्त या फिर ज्यादा टैनिन युक्त तो नहीं था ? आपको वाइन अच्छी लगी ? क्या यह वाइन यादगार अनुभव था या फिर मजा नहीं आया ? कोई ऐसी अभिलक्षणा चमक कर दिल को छू गयी जिसे आप याद रख सकें।
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