ek ghazal ruh-e-tammnna ke Naam
एक ग़ज़ल रूह - ए - तमन्ना के नाम
जान-ए-जिगर रूह-ए-तमन्ना कहें जिसको
मिला नहीं कोई शख्स अपना कहें जिसको
तुम रू - ब - रु हुए हो कई मुद्दतों के बाद
यह हकीकत है या सपना कहें जिसको
हर एक श्वांस के साथ तेरा नाम आए
जो सयाने हैं वो तो जपना कहें इसको
तुम को छूता हूँ ख्यालों में जब भी
हर वो लम्हा तो इबादत सा लगे मुझको
तुम्हारे सामने मेरा वजूद इस तरहा से है
रेजगारी में इक अधन्ना कहें जिसको
उनकी बेवफाई ने हाल कर दिया यारों
या खुदा! लोग तमाशा कहें जिसको
- प्रदीप गुप्ता
जान-ए-जिगर रूह-ए-तमन्ना कहें जिसको
मिला नहीं कोई शख्स अपना कहें जिसको
तुम रू - ब - रु हुए हो कई मुद्दतों के बाद
यह हकीकत है या सपना कहें जिसको
हर एक श्वांस के साथ तेरा नाम आए
जो सयाने हैं वो तो जपना कहें इसको
तुम को छूता हूँ ख्यालों में जब भी
हर वो लम्हा तो इबादत सा लगे मुझको
तुम्हारे सामने मेरा वजूद इस तरहा से है
रेजगारी में इक अधन्ना कहें जिसको
उनकी बेवफाई ने हाल कर दिया यारों
या खुदा! लोग तमाशा कहें जिसको
- प्रदीप गुप्ता
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