Taza Taza Ghazal यारों
अपनी जिद पे अड़ गए यारों
हम जमाने से लड़ गए यारों
कभी सोचा है उन पत्तों का वजूद
वेवजह शाख से झाड़ गए यारों
दुनिया बदली बदली सी लगे है हमें
दो हरफ़ प्यार के पढ़ गए यारों
हम जहाँ थे वहां वहीं थे अभी
वो तो धोखे से बढ गए यारों
जिनको नाज़ों से पाला पोसा था
वो परिंदे तो उड़ गए यारों
-प्रदीप गुप्ता
हम जमाने से लड़ गए यारों
कभी सोचा है उन पत्तों का वजूद
वेवजह शाख से झाड़ गए यारों
दुनिया बदली बदली सी लगे है हमें
दो हरफ़ प्यार के पढ़ गए यारों
हम जहाँ थे वहां वहीं थे अभी
वो तो धोखे से बढ गए यारों
जिनको नाज़ों से पाला पोसा था
वो परिंदे तो उड़ गए यारों
-प्रदीप गुप्ता
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