Hindi Kavita - Me and My Words
मैं और मेरे शब्द
रात यही कोई दो बजे
अचानक आँख खुल गई
शरीर पसीना पसीना था
सपना देखा था।
सपने में देखा
मैं मर चुका हूँ।
मेरे सगे सम्बन्धी
राम नाम सत्य कहते हुए
मेरे पार्थिव शरीर को शमशान ले जा रहे हैं
और ये लो,
मुझे मुखाग्नि दे दी गयी है
मांस मज्जा धूं धूं करके
आम और चंद चन्दन की लकड़ियों के साथ
जल रहा है.
बस सपने में यही देख कर
मैं पसीना पसीना हो गया था
सोचने लगा जो पैसा बैंक में है
जो जमीन जायदाद
अपनी और अपने परिवार की खुशियों को काट काट कर
बनाई थी,
सोने की एक मोटी चेन
जी हाँ, इसे खरीदने के लिए
मैंने बैंक से परसनल लोन लिया था
इसके बारे में शायद ही कहीं जिक्र होगा ।
फिर आखिर वो क्या है ?
जिसके लिए लोग मुझे याद कर लिया करेंगे
तभी याद आया,
मेरी बेटी ने मेरा हाथ पकड़ कर चलना सीखा था
जब वो पहली बार चली तो लड़खड़ा कर
गिरने लगी थी
मैंने उसे कलेजे से लगा लिया था
वो इसे नहीं भुला पाएगी।
मेरा बेटा
जब बारहवीं पास करके आई आई टी में आया था
उस समय मेरे पास फीस चुकाने के लिए बैंक में पैसा नहीं था
उसकी मां और अपने सोने के जेवर बैंक में गिरवीं रख कर
उसे पढ़ने भेजा था
शायद वो याद कर ले.
बीबी के साथ तो सुख दुःख का लंबा साथ रहा
उसके पास मुझे याद करने के सैकड़ों कारण रहेंगे।
कई दोस्त भी जरूर याद करेंगे
आड़े वक्त में जिनकी मदद की थी
कई के साथ उनके दुःख दर्द बांटे थे.
कई सहकर्मी भी शायद याद कर लें
जिनका हाथ पकड़ कर कैरियर में
आगे जाने में मदद की थी.
कुछ एक रिश्तेदार भी कभी कभी याद कर लिया करेंगे।
लेकिन ये वो कारण नहीं
जो मैं लम्बे समय तक याद रखा जाऊं।
अचानक याद आया मुझे याद रखने के लिए
मेरे शब्द भी तो हैं
जिन्हे पिरो कर
बहुत सारी कविता, ग़ज़ल, गीत, कथा, कहानी गूथें हैं
ये पत्र, पत्रिकाओं , पुस्तकों , ब्लॉग पर मौजूद हैं
ध्वनि मुद्रित भी हैं
आगे भी बने रहेंगे।
अक्सर इन्हे पढ़ के सुन के
लोग भावुक हो कर मुझे लिखते हैं
कई बार वे जब सुरंग में होते हैं तो
यही शब्द रौशनी बन कर
बाहर निकलने में मददगार होते हैं
कई बार ये शब्द
सत्तासीन लोगों से सवाल पूछने में उन्हें मदद करते हैं।
तो जब तक मेरा जीवन है
क्यों न मैं ऐसे ही शब्दों को जरा और उत्साह से
गूंथने का काम जारी रखूं
ये मेरे साथ यात्रा करेंगे
जब मैं इस पार्थिव शरीर में
नहीं होऊंगा
ये लोगों के साथ
चलते रहेंगे चलते रहेंगे....
रात यही कोई दो बजे
अचानक आँख खुल गई
शरीर पसीना पसीना था
सपना देखा था।
सपने में देखा
मैं मर चुका हूँ।
मेरे सगे सम्बन्धी
राम नाम सत्य कहते हुए
मेरे पार्थिव शरीर को शमशान ले जा रहे हैं
और ये लो,
मुझे मुखाग्नि दे दी गयी है
मांस मज्जा धूं धूं करके
आम और चंद चन्दन की लकड़ियों के साथ
जल रहा है.
बस सपने में यही देख कर
मैं पसीना पसीना हो गया था
सोचने लगा जो पैसा बैंक में है
जो जमीन जायदाद
अपनी और अपने परिवार की खुशियों को काट काट कर
बनाई थी,
सोने की एक मोटी चेन
जी हाँ, इसे खरीदने के लिए
मैंने बैंक से परसनल लोन लिया था
इसके बारे में शायद ही कहीं जिक्र होगा ।
फिर आखिर वो क्या है ?
जिसके लिए लोग मुझे याद कर लिया करेंगे
तभी याद आया,
मेरी बेटी ने मेरा हाथ पकड़ कर चलना सीखा था
जब वो पहली बार चली तो लड़खड़ा कर
गिरने लगी थी
मैंने उसे कलेजे से लगा लिया था
वो इसे नहीं भुला पाएगी।
मेरा बेटा
जब बारहवीं पास करके आई आई टी में आया था
उस समय मेरे पास फीस चुकाने के लिए बैंक में पैसा नहीं था
उसकी मां और अपने सोने के जेवर बैंक में गिरवीं रख कर
उसे पढ़ने भेजा था
शायद वो याद कर ले.
बीबी के साथ तो सुख दुःख का लंबा साथ रहा
उसके पास मुझे याद करने के सैकड़ों कारण रहेंगे।
कई दोस्त भी जरूर याद करेंगे
आड़े वक्त में जिनकी मदद की थी
कई के साथ उनके दुःख दर्द बांटे थे.
कई सहकर्मी भी शायद याद कर लें
जिनका हाथ पकड़ कर कैरियर में
आगे जाने में मदद की थी.
कुछ एक रिश्तेदार भी कभी कभी याद कर लिया करेंगे।
लेकिन ये वो कारण नहीं
जो मैं लम्बे समय तक याद रखा जाऊं।
अचानक याद आया मुझे याद रखने के लिए
मेरे शब्द भी तो हैं
जिन्हे पिरो कर
बहुत सारी कविता, ग़ज़ल, गीत, कथा, कहानी गूथें हैं
ये पत्र, पत्रिकाओं , पुस्तकों , ब्लॉग पर मौजूद हैं
ध्वनि मुद्रित भी हैं
आगे भी बने रहेंगे।
अक्सर इन्हे पढ़ के सुन के
लोग भावुक हो कर मुझे लिखते हैं
कई बार वे जब सुरंग में होते हैं तो
यही शब्द रौशनी बन कर
बाहर निकलने में मददगार होते हैं
कई बार ये शब्द
सत्तासीन लोगों से सवाल पूछने में उन्हें मदद करते हैं।
तो जब तक मेरा जीवन है
क्यों न मैं ऐसे ही शब्दों को जरा और उत्साह से
गूंथने का काम जारी रखूं
ये मेरे साथ यात्रा करेंगे
जब मैं इस पार्थिव शरीर में
नहीं होऊंगा
ये लोगों के साथ
चलते रहेंगे चलते रहेंगे....
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