Hindi Ghazal : Mere Hathon Kee Lakeeron Men

ग़ज़ल 


मेरे हाथों की लकीरों में तू बसा करता है 
हम तो कहते हैं जमाना भी यही कहता है 

तुमसे से बिछुड़े तो कहाँ तलक भटके
शाख से टूट के पत्ता भी कहीं रहता है 

तोड़ डाले भले सभी रिश्ते नाते उसने 
साँसों  का  रिश्ता नहीं मिटा करता है

आप आये हैं सिलसिला बनाये रखिये 
आप से मिल के दिल में सुकूं रहता है 

 छू के तूने  हवाओं में रंग घोल दिया
मेरे नगमों  में  वही रंग बसा रहता है 

झूठ को सच कभी  दिखा नहीं सकता 
आइना तो आइना है सच ही कहता है 
  

                                                                      - प्रदीप  गुप्ता 

कॉपीराइट 2018

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