Ghazal 2 24.08.2017.
टूटा दिल टूटे हैं सपने
अपने नहीं रहे हैं अपने
सच से बच कर रहे हमेशा
जीवन बीते माला जपने
दर्द हो गए आज पराये
इसीलिये लगने हैं छपने
सीता ही शापित क्यों है
हर युग में अग्नि में तपने
देख दिनन के फेर रे बन्दे
अपने आज लगे हैं बचने
कॉपीराइट प्रदीप गुप्ता
अपने नहीं रहे हैं अपने
सच से बच कर रहे हमेशा
जीवन बीते माला जपने
दर्द हो गए आज पराये
इसीलिये लगने हैं छपने
सीता ही शापित क्यों है
हर युग में अग्नि में तपने
देख दिनन के फेर रे बन्दे
अपने आज लगे हैं बचने
कॉपीराइट प्रदीप गुप्ता
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