Cambridge University आखिर कैम्ब्रिज दुनिया का सर्व श्रेष्ट अध्ययन केंद्र क्यों है


आखिर कैम्ब्रिज दुनिया का सर्व श्रेष्ट अध्ययन केंद्र क्यों है 
                                                                                                लन्दन ७ मई २०१७ 






मेरी शुरआती पढाई  किसी सेंट टाट पट्टी स्कूल  (यानि सरकारी प्राइमरी स्कूल ) में भी नहीं हुई . हुआ. यूँ कि मेरा जन्म और बचपन उत्तर प्रदेश के बहुत छोटे कसबे संभल में हुआ , माँ और बाबूजी  पोस्टिंग के कारण  नगीना में थे,  दादी मेरी पढाई को लेकर काफी प्रोटेक्टिव थीं, इसलिए उन्होंने मुझे प्राइमरी स्कूल में नहीं भेजा वरन  मेरी शुरूआती पढाई घर पर ही कराई। सेकेंडरी और कालेज शिक्षा ऐसे स्कूलों में हुई जिन्हे मेरे शहर के अलावा कोई नहीं जानता, एक एक सेक्शन में ८० से ९० बच्चे होते थे , यकीन कीजिये ग्रेजुएशन के दौरान हमारे अध्यापक हमें सही सही नाम से भी नहीं पहचान पाते थे. हमारे पास इतने साधन नहीं थे कि कैम्ब्रिज जैसे शीर्ष विश्वविद्यालय में पढ़ने का अवसर मिले। लेकिन दिल में एक तमन्ना  थी कि केम्ब्रिज जा कर एक बार जरूर देखें कि  वहां की हवा पानी में ऐसा क्या है जिसने उसे एक विश्व् स्तरीय अध्ययन संस्थान बना दिया है और वहां पढ़े हुए लोगों ने अपने अपने क्षेत्रों में कामयाबी के झंडे गाड़ दिए हैं।  वे चाहे गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम  हों या फिर अंतरिक्ष विज्ञानी स्टीफेंस  हाकिंस, डार्विन थ्योरी  के जनक चार्ल्स डार्विन, अर्थशास्त्री अमर्त्यसेन सूची बहुत लम्बी है. 

कल मेरा सपना सच्चा हो गया। हमने अपनी यात्रा नार्थ हैरो से शुरू की वहां से मेट्रो लाइन लेकर लन्दन के किंग क्रॉस  रेलवे स्टेशन पहुंचे।  यहाँ प्लेटफार्म संख्या २ से केम्ब्रिज की सीधी ट्रेन पकड़ी। अच्छी बात यह रही कि इस ट्रेन में बीच में कोई स्टाप नहीं था इसलिए ४५ मिनट में कैंब्रिज पहुँच गए. 

स्टेशन से सिटी सेंटर ३ मील है , टैक्सी ने दस मिनट में पहुंचा दिया ,भाड़ा भी ६.५० पौंड।  हम जैसे ही टैक्सी से उतरे हमें पन्टिंग टूर ऑपरेटरों ने घेर लिया।  कैम्ब्रिज में चारों तरफ नहर बहती है, इस लिए नगर को देखने का सबसे अच्छा तरीका नौका में घूमना है , नौका में आठ लोग तक बैठ सकते हैं , नौका चालक को पंटर कहा जाता है वह अल्मुनियम की लम्बी रॉड से नौका को खेता है, यह नौका वेनिस के गंडोला की याद दिलाती है. 

हमें  नौका विहार का समय ११.३०  दिया गया था इसलिए हमारे पास अभी काफी समय था, हमने पैदल सड़कें नापने का सिलसिला शुरू किया. कैम्ब्रिज छोटा सा शहर है लेकिन इसमें खोजने को काफी कुछ है. नगर की पूरी अर्थव्यवस्था विश्वविद्यालय के छात्र , प्राध्यापकों और हम जैसे  सैलानियों पर अवलम्बित है. यहाँ बनावट नहीं है, 

सिटी सेंटर बहुत सुन्दर है यहाँ एक बड़ा माल, काफी सारे ब्रिटिश और यूरोपियन फैशन ब्रांड स्टोर हैं.खाने पीने के लिए फैन डाइनिंग से लेकर स्ट्रीट फ़ूड कई विकल्प उपलब्ध हैं ,आर्ट और क्राफ्ट का बाजार भी है. लेकिन इन सब से ज्यादा प्रभावित करने के लिए यहां के रहने वाले हैं जो चमकती कारों की जगह आज भी साइकिल पर चलना पसंद करते हैं , जिससे प्रदूषण नहीं होता और स्वास्थ  भी अच्छा रहता है. यहाँ सड़क पर साइकिल सवारों  लिए अलग ट्रेक है , जगह जगह साइकिल पार्क करने के लिए पर्याप्त स्थान है. 

अध्ययन केंद्र के रूप में कैम्ब्रिज ८०० से भी अधिक पुराना है. इसकी गिनती विश्व की सबसे ज्यादा समय से लगातार चलने वाले विश्वविद्यालय में की जाती है. यदि रैंकिंग की बात  करें तो यह यूरोप में शीर्ष और दुनिया की चुनिन्दा १० में से एक है. यहाँ के अध्यापन करने वाले तो गुणी हैं ही लेकिन इसे शीर्ष पर पहुँचाने में यहाँ की अध्ययन और अध्यापन की शैली ज्यादा जिम्मेवार है।  विद्यार्थी को रटने की मशीन न बना कर उसे स्वतंत्र चिंतक और शोधार्थी बनाने पर ज्यादा जोर दिया जाता है. अध्यापन पूरी  तरह से व्यक्तिशः विकास पर आधारित है जिसमें हर विद्यार्थी को एक अध्यापक से  जोड़ दिया जाता है जो यह सुनिश्चित करता है कि विद्यार्थी को चिंतन और मनन के लिए एक स्वतंत्र स्पेस मिले. इसका थोड़ा थोड़ा अंदाजा  The man who knew infinity film को देख कर मिलता है जिसमें केम्ब्रिज में  रामानुजम  और प्रोफ़ेसर हार्डी के बीच आत्मीय संबधों को दिखाया है , यही बॉडिंग रामानुजम की अनूठी शोध का आधार बनी. 

अध्ययन से जुड़े हुए स्थानों में यहाँ ट्रिनिटी कालेज का उल्लेख करना चाहूंगा जिसने दुनिया को सबसे ज्यादा राज्याध्यक्ष , प्रधानमंत्री, ब्यूरोक्रेट , टेक्नोक्रेट , अविष्कारक और चिंतक दिए हैं. कालेज और इसका चैपल  वास्तुकला का नमूना है. 

ट्रिनिटी स्ट्रीट और ब्रिज स्ट्रीट के बीच में एक गोलाकार चर्च है इसकी  निर्माण शैली  जरा हटकर है, इस लिए बरबस ध्यान खींचता है.  यह सन  ११३० में  बना था. कहते है केम्ब्रिज में यह सबसे पुरानी इमारतों में से एक है. यहीं से सामने नदी तक जाने का रास्ता है जहाँ हमें नौका विहार यानी पन्टिन्ग करनी थी. नदी नगर के बीचों बीच से बहती है और नगर का सबसे अच्छा व्यू  पंटिंग करते हुए देखने को मिलता है. नदी के ऊपर कई सारे पुल हैं. दोनों तरफ घना हरे  घास के मैदानों का विस्तार और बीच बीच में ऐतिहासिक इमारतें , और फ़ैली हुए शांति , इसके बीच लगता समय ठहर सा गया हो. 

कैम्ब्रिज नदी के बीच तैरती हुई पंट वेनिस के गंडोला की याद दिलाती हैं , नौका चालक पंटर लकड़ी या अल्मुनियम की लम्बी रॉड से नौका को बड़े आराम से खेता  रहता है.जैसी ही ब्रिज के नीचे से गुजरता है अपनी गर्दन और पंट दोनों ही झुका लेता है. हर पंटर के पास केम्ब्रिज से जुड़े किस्सों का खजाना है, उस खजाने से चुन चुन के ऐसे रोचक किस्से सुनाता है कि  एक घंटा कैसे गुजर जाता है पता ही नहीं चलता. ये किस्से यहाँ के नामचीन अध्यापकों, सेलिब्रिटी विद्यार्थियों, भवन निर्माताओं, शराबी कांट्रैक्टर के बारे में होते हैं. 

पोन्टिंग करके जबरदस्त भूख लग गयी थी, खाने के लिए ज्यादातर विकल्प इटालियन, परम्परावादी ब्रिटिश  या फिर अन्य यूरोपीय सामिष खाने के हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में शाकाहारी और वेगान खाने का रिवाज बढ़ा है इसलिए हमारा टाइप का घास फूस का ग्लुटान मुक्त खाना भी आसानी से मिल जाता है.हमने वियतनामी स्ट्रीट फ़ूड फ़ो  का चुनाव किया जिसमें ग्लुटान मुक्त नूडल्स के साथ ही सलाद और टोफू  मौजूद थे.

सवाल यह था कि  आखिर वह क्या है जो कैम्ब्रिज को शीर्ष अध्ययन संसथान बनाता है. दिन भर केम्ब्रिज में टहलते और लोगों से चर्चा करते करते एक ही बात निकल कर आयी कि यह निरंतर अपने आप को खोजता रहा है, यह सिलसिला अभी भी भी जारी है इसलिए यह पूरी दुनिया की प्रतिभाओं को चुम्बक की तरह खींच लेता है और तपा कर उन्हें कुंदन बना देता है.   

             






                                                                                              copyright pradeep gupta

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