Message for New Year : नए साल का मिजाज

नए साल का मिजाज 

चलने को चल दिए थे हम 
चलके जाना है कहाँ मगर 

गिरते पड़ते उठते चलते 
घूमे भटके हम डगर डगर 

काशी देखी काबा देखा
जेरुशलम तक माथा टेका 

ज्ञानी ध्यानी की सोहबत की  
साधू संतों संग आलाप किया 

जैनासर में गिरजों में घूमे 
गुरूद्वारे में भी जाप किया 

दर्शन की मोटी पुस्तक  बाँचीं
वेदों का नित दिन पाठ किया 

लेकिन हम जिस को खोज रहे 
वो अंतर में सबके  छुपा हुआ 

सारे धर्मों को छोड़े हम 
पंथों से भी नाता तोड़ें 

दर्शन, चिंतन, अर्चन भूलें 
बस  व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ें   



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