Scotland - Land of Harry Potterस्काट लैंड : हैरी पाटर का तिलस्मी संसार
स्काट लैंड : हैरी पाटर का तिलस्मी संसार
सुश्री जे.के. रोलिंग की उपन्यासों की हैरी पाटर शृंखला अपने आप में एक तिलस्मी दुनिया है, दुनिया भर के लोग इसके दीवाने हैं । जब हमने स्काट लैंड में घूमना शुरू किया तो लगा कि उन उपन्यासों की दुनिया महज काल्पनिक नहीं है, वह तो सच में पूरे स्काट लैंड में बिखरी हुए है , सुश्री रोलिंग ने तो बस उसमें कुछ सतरंगी पंख लगा दिए हैं ! वैसे भी सुश्री रोलिंग ने अपने हैरी पाटर उपन्यासों को लिखने की शुरआत स्काट लैंड के ऐतिहासिक शहर एडिनबरा से की थी. यह सुनने में बहुत ही अजीब लगता है लेकिन यह सच है कि अपने प्रारंभिक लेखनकाल के दिनों में इस लेखिका के घर में बिजली का कनेक्शन नहीं हुआ करता था, वे यहाँ की मार्शल स्ट्रीट में अवस्थित एलीफैंट एंड बेगल्स रेस्टोरेंट के कभी बैक रूम तो कभी सामने लैम्प पोस्ट के नीचे बैठ कर हैरी पाटर के तिलिस्म का जाल बुना करती थीं।यही वजह है कि रोलिंग के दीवाने खोजते खोजते
एलिफेंट एंड बेगल्स तक पहुँच जाते हैं।
स्काट लैंड में प्रकृति ने अपना सौंदर्य प्रचुरता से बिखेरा है , साथ ही स्कॉटिश लोगों ने अपनी ऐतिहासिक धरोहर को बड़े करीने से संजो कर रखा है. यहाँ के लोग बहादुरी और , शौर्य में आगे रह चुके हैं , अजनबियों से जल्दी ही मित्रवत रिश्ते बना लेते हैं। कुल मिला कर ऐसे मित्रवत लोगों के बीच घूमना अपने आप में एक बेहद यादगार अनुभव बन गया।
स्काट लैंड जाने की इच्छा एक अरसे से थी. उसके पीछे एक बड़ा कारण स्कॉच की जन्म स्थली देखना था। वहां जा कर मैं अपनी आंखों से देखना और समझना चाहता था कि आखिर स्कॉच दुनिया भर की अन्य व्हिस्की से इतनी बेहतर क्यों मानी जाती है. लेकिन घूम कर पता चला कि बेशक स्कॉच वहां की विशिष्ट पहचान है और वहां की सकल आय में इसका योगदान अन्य आइटमों से कहीं ज्यादा है. लेकिन यहाँ स्कॉच से आगे बहुत कुछ है। यहाँ के लोगों में अपनी ऐतिहासिक धरोहर के प्रति बेहद लगाव है और अपनी संस्कृति से साथ जुड़े रहने की अदम्य इच्छा है. इसका छोटा सा उदाहरण यह है कि आज भी स्कॉटिश लोग अपनी परम्परागत ड्रेस जिसमें चटख रंग की चार खाने के डिजाइन वाली वाली स्कर्ट शामिल होती है, पहनना बड़े गर्व की बात समझते हैं
वैसे तो स्काट लैंड के प्रमुख शहरों एबरडीन, इनवर्नेस , ग्लासगो , पर्थ ,स्टर्लिंग की अपनी अपनी अलग विशेषता है, लेकिन एडिनबरा की बात ही कुछ और है यहाँ की सड़कों ,भवनों, कैसलों और पैलेस में आज भी इतिहास जीवंत है, यही नहीं यहाँ की संस्कृति और परम्परा बहुत समृद्ध है, इसलिये हमने इसी शहर को केंद्र बिंदु बना कर स्काट लैंड को एक्स्प्लोर करना शुरू किया.
लन्दन से एडिनबरा के लिए फ्लाइट तो हैं ही साथ ही तेज गति वाली वर्जिन ट्रेन भी हैं जो स्पीड ,आराम और सुविधा के हिसाब से किसी भी मायने में फ्लाइट से कम नहीं हैं.वर्जिन ट्रेन का सञ्चालन निजी क्षेत्र में है और इसका स्वामित्व वर्जिन अटलांटिक ग्रुप के रिचर्ड ब्रेनसन्स का है। यह 455 मील के सफर को केवल 5 घंटों में तय करती है जबकि यह बीच के यॉर्क, डरहम, न्यू कैसल स्टेशनों पर रुकती है. इस लिए हमने ट्रेन से जाने का फैसला किया। ट्रेन के पक्ष में इस लिये भी पलड़ा भारी रहा कि हमारे आवास से लन्दन के किंग्स क्रास रेलवे स्टेशन का रास्ता 40 मिनट और वहीं एयरपोर्ट तक का दो घंटे का था.
एडिनबरा में हम लोगों ने पहले से ही एक अपार्टमेंट बुक कर लिया था. यह अपार्टमेंट एडिनबरा के वेवर्ले रेल स्टेशन से महज दस मिनट की दूरी डेविस स्ट्रीट में अवस्थित है. सामान कुछ ख़ास नहीं था इसलिए आराम से पैदल ही अपार्टमेंट तक पहुँच गए। एडिनबरा की खूबी यह है कि प्राचीन भवनों के बाहरी आवरण के साथ लम्बे समय से कोई छेड़ छाड़ नहीं की गयी है, जबकि भवनों की आंतरिक साज सज्जा को अपने हिसाब से बदलने की भवन स्वामी को अनुमति है. यही वजह है कि नगर की सड़कों और भवनों का स्वरूप शताब्दियों पुराना ही है. इसलिए जब आप शहर में घूमते हैं तो यह लगता है कि इतिहास के प्राचीन काल खंड में पहुँच गए हों। हां, अंदर से भवन उतने ही सुख सुविधा पूर्ण हैं जितने किसी अन्य आधुनिक शहर में होते हैं। हम अपार्टमेंट के दिए पते पर पहुंचे तो पाया भवन यह तो बच्चों का हॉस्पिटल है जिसका निर्माण 1832 में किया गया था. , लेकिन जब अंदर प्रवेश किया तो पाया कि वह तो अधुनातन अपार्टमेंट काम्प्लेक्स है यानि जब इसे अपार्टमेंट्स में बदला गया तो बाहर भवन की संरचना के साथ कोई छेड़ छाड़ नहीं की गयी. . यह अपार्टमेंट इतनी सुविधाजनक लगा कुकिंग रेंज , कटलरी , क्राकरी सब कुछ मौजूद कि वहां से दो मिनट की दूरी पर टेस्को और सैन्सबरी ग्रॉसरी स्टोर है, बस हम ग्रॉसरी स्टोर से पकाने का सामान ले आये और प्रवास के दौरान कई बार घर नाश्ता और खाना खाने का अवसर भी मिलता रहा.
एडिनबरा नगर का सबसे बड़ा आकर्षण यहाँ का रॉयल माइल इलाका है जो अतीत में राजाओं , राजकुमारों , सामंतों और भद्र जनों की क्रीड़ा स्थली रहा है, उस काल की याद दिलाने के लिए आज भी ख़ास मौकों पर इस रोड पर शानदार परेड आयोजित की जाती है, तो मानों पूरा इतिहास जीवंत हो उठता है.वैसे भी यहाँ अगस्त मास में होने वाला फ्रिंज फेस्टिवल दुनिया में कहीं और होने वाले अंतरराष्ट्रीय उत्सवों से कहीं बड़ा माना जाता है, पूरा शहर उत्सवमय हो जाता है, साहित्य, कला , नृत्य , संगीत, नाटक, लोक रंग सब कुछ जैसे यहाँ की सड़कों पर जैसे उतर आता है और इसी के साथ यहाँ पूरी दुनिया भर से संगीत, कला और साहित्य प्रेमी भी जुट जाते हैं. वैसे आम दिनों में भी यह क्षेत्र काफी चहल पहल से भरा रहता है ,रॉयल माइल के फुटपाथ पर कहीं बैगपाइपर संगीत लहरी छोड़ते हुए मिल जाएंगे कहीं छोटा मोटा संगीत बैंड कहीं जादूगर तो कहीं मदारी मजमा लगाए हुए दिख जाएंगे। यहाँ परम्परागत स्कॉटिश खाना ही नहीं दुनिया भर के देशों का खाना परोसने वाले रेस्टोरेंट्स हैं, हमें सुखद आश्चर्य दिल्ली और पंजाब का खाना परोसने वाले रॉयल स्पाइस में जा कर हुआ. वैसे भी एडिनबरा में भारतीय, बांग्लादेशी खाना परोसने वाले रेस्टोरेंट की भरमार है, यह अलग बात है कि बांग्लादेशी अपने आप को बँगलादेशी कहते हुए संकोच करते हैं वे अपने रेस्टोरेंट के बोर्ड पर बांगला एंड इंडियन रेस्टोरेंट लिखते हैं ! एडिनबरा में कश्मीरी ऊन से बने कपड़ों की दुकाने काफी सारी हैं, ऊन भले ही कश्मीरी हो लेकिन कपडे बुनने का स्कॉटिश स्टाइल अलग ही है.
एडिनबरा शहर ओल्ड और न्यू टाउन में विभक्त है, ओल्ड टाउन की मध्य काल में बनी सड़कों के अनूठे ले आउट और जार्जियन शैली बसे न्यू टाउन को यूनेस्को ने 1995 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट में सम्मिलित कर लिया था क्योंकि . यहाँ के 4500 से भी भी अधिक भवन और इमारतें संरक्षित श्रेणी में शामिल हैं.ओल्ड टाउन पहाड़ी ढाल पर है और यह हालीरुड पैलेस के करीब तक चला गया है. इसकी मुख्य सड़कें रीढ़ की हड्डी की तरह से हैं और उनमें से दोनों ओर ऊंची नीची पतली पतली गलियां जाल की तरह से फ़ैली हुई हैं जिन्हें यहाँ के लोग क्लोजेज या वाइन्ड्स कहते हैं, इन्ही वाइन्ड्स में वास्तु शिल्प की दृष्टि से बेहतरीन काफी सारी सार्वजनिक इमारतें हैं जिनमें प्रमुख सेंट गाइल्स चर्च , ला कोर्ट्स और सिटी चैम्बर्स शामिल हैं.
हमने इस आलेख की शुरुआत जे के रोलिंग के हैरी पाटर उपन्यासों की तिलस्मी दुनिया से की थी, दरअसल यह दुनिया एडिनबरा के पुलों के नीचे की भुतहा सी दिखने वाली गलियों में रोलिंग के जन्म से भी पहले से सिमटी हुई है। इसका अंदाजा लगाने के लिए मर्डर एंड मिस्ट्री वाकिंग टूर करना जरूरी है , इस टूर में आपका गाइड एक प्रेतात्मा के रंग रूप में होता है, यह प्रेतात्मा के गेटअप वाला गाइड आपको इन पुलों के नीचे अंधियारे में घटित मर्डर, टॉर्चर, जादू टोने और भुतहा घटनाओं के बारे में बड़े ही रोचक तरीके से बताता है, यहाँ घूमने से पता चला कि 19 वीं शताब्दी में मृत शरीरों के व्यापार की भी घटनाएं हुआ करती थीं। सच यह है कि यह टूर कमजोर दिल वाले लोगों के लिए नहीं है क्योंकि वहां घटनाएं अति नाटकीय तरीके से घटित होती हैं।
एडिनबरा के इलाके में आज से लाखों साल पहले ज्वालामुखी फटा था, उसी से ऊंची नीची पहाड़ियां बन गयी हैं. इनमें से एक ऊंची पहाड़ी आर्थर सीट कहलाती है, यह एडिनबरा का काफी बड़ा पर्यटक आकर्षण है ,यहाँ पर्यटक हाइकिंग करके पहुँचते हैं. यहाँ से शहर के विस्तार और समुद्र का 360 डिग्री विहंगम दृश्य देखने को मिलता है , आर्थर सीट के ढलान हरे भरे चारागाह और फिर हालीरूड पार्क में बदल जाते हैं,पार्क का एक सिरा हालीरुड पैलेस और स्कॉटिश संसद की ओर चला जाता है. पैलेस जहाँ भव्य अतीत की झलक है वहीं संसद आधुनिक वास्तुकला को परंपरा के साथ जोड़ कर एक समकालीन संरचना बनाने का अनूठा प्रयास है. सबसे अच्छी बात यह है कि देशी और विदेशी पर्यटकों का स्वागत यहां की संसद में सम्मानित मेहमान की तरह से किया जाता है, यदि सत्र चल रहा हो तो उन्हें बिना किसी बाधा के देखने का अवसर भी दिया जाता है. हम जब संसद में पहुंचे तो सत्र का अवसान हो चुका था लेकिन हमें संसद की कार्यवाही समझाने का पूरा प्रयास वहां के प्रोटोकॉल अधिकारी ने किया। स्कॉटिश लोग लम्बे साय से अपने आप को ब्रिटेन से अलग करने की मुहिम चलाते रहे हैं, स्कॉट लैंड में पिछले दिनों इस बारे में मतदान भी कराया गया था, वहां की जनता ने ब्रिटेन के साथ जुड़े रहने के पक्ष में अपना फैसला लिया था, रक्षा, विदेशी मामलों को छोड़ कर स्कॉट लोग अपने क्षेत्र के बारे में सारे निर्णय स्वयं ही करते हैं.
एडिनबरा एक सबसे बड़ा आकर्षण वहां का कैसल है जो शहर की सबसे ऊंचा स्थान है. इस कैसल ने स्कॉट लैंड के पिछले एक हज़ार वर्षों के इतिहास में काफी उतार चढाव देखे हैं.ब्रिटिश राजशाही ने स्कॉट लैंड की राजशाही के साथ लम्बे समय तक युद्ध किया है.एडिनबरा कैसल की भौगोलिक संरचना कुछ इस प्रकार की है कि जिस का कब्जा इस कैसल पर रहा है उसी ने समूचे स्कॉट लैंड पर शासन किया है, लाखों वर्ष पहले ज्वालामुखी फटने के कारण बने इस चौरस पहाड़ी स्थान को पहले कभी नौ कुमारियों की स्थली कहा जाता था, सन 600 में ब्रिटिश फौजों ने इस स्थान पर कब्जा करके अपने अधीन किया और किले का निर्माण किया , बाद में कभी ब्रिटिश तो कभी स्कॉटिश राजा इस पर काबिज रहे. बरहाल तारीफ़ करनी होगी यहाँ के प्रशासन की जिसने इस के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ न करते हुए आंतरिक रूप सेआधुनिक काल के हिसाब से काफी बदलाव किये हैं.यहाँ एक ओर इतिहास को राजमुकुट ,अन्य राजशाही प्रतीकों, और प्राचीन पेंटिंग्स के माध्यम से जीवंत किया हुआ है, वहीं इस किले के एक हिस्से में स्कॉटिश फ़ौज का संग्रहालय है जो स्कॉटिश आर्मी की शानदार परम्परा की झलक देता है. इन दिनों यहाँ एक और आकर्षण जुड़ गया है यदि शाही तरीके से शादी रचानी हो, आ जाइए इसकी भी सुविधा प्रदान कर दी जाती है , बस, थोड़ी जेब ढीली करनी पड़ेगी।
एडिनबरा स्कॉट लैंड की राजधानी है साथ ही स्कॉच की भी राजधानी है. यहाँ के पब और बार में हाई लैंड, लो लैंड की बेहतरीन से बेहतरीन विहस्की मिल जाएंगी.शहर के ज्यादातर पब और बार ग्रास मार्केट और रोज स्ट्रीट में सिमटे हुए हैं। ग्रास मर्केंट का वाइट हार्ट इन संभवत एडिनबरा का सबसे पुराना पब है, इसकी स्थापना सन 1516 में हुई थी, यहाँ सुप्रसिद्ध कवि विलियम वर्ड्सवर्थ और रॉबर्ट्स बर्न भी आया करते थे। दो मजेदार घटनाएं इस पब के साथ और जुडी हैं , कुख्यात हत्यारे बुर्के और हारे भी यहाँ आ कर बैठा करते थे, ये अपने शिकारों की ह्त्या करके उनके शव मेडिकल कालेज को विच्छेदन के लिए बेच देते थे ! पता नहीं जर्मन इस पब से क्यों खफा थे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सीधे इस पब के सामने बम गिराया था. हमें तो इस पब में व्हिस्की और ऐल का संग्रह बहुत अच्छा लगा, इन्होंने जानी मानी डिस्टीलरीज़ के साथ ही निजी और छोटी डिस्टीलरीज़ में बनाई हुई व्हिस्की भी रखी हुई हैं. इसके साथ ही लास्ट ड्राप, मैगी डिकेंस पब, फीडलर्स आर्म और बो बार भी काफी चर्चित हैं.
एडिनबरा रह कर स्कॉट लैंड के ग्रामीण परिवेश और हाई लैंड और लो लैंड इलाकों के जीवन को समझना संभव नहीं है इसलिए तीन दिन एडिनबरा रहने के बाद हम लोगों ने ग्लासगो, स्टर्लिंग और लेक लोमान का टूर लिया। यह एक दिवसीय यात्रा 16 सीट की छोटी लेकिन लग्जरी बस से संपन्न हुई। एडिनबरा से हम पहले ग्लासगो पहुंचे, यह शहर स्काट लैंड के पश्चिमी लो लैंड इलाके में क्लीदे नदी के समुद्री मुहाने पर है,
18 वीं शताब्दी में यह शहर जहाज बनाने के लिए दुनिया भर में मशहूर था लेकिन 19 वीं शताब्दी के आते आते श्रम लागत मंहगी होने के कारण यह प्रतियोगिता से बाहर हो गया, लेकिन यूनाइटेड किंगडम के समुद्री व्यापार केन्द्रों में इसका स्थान आज भी महत्वपूर्ण है। यहाँ के भवन अपनी विक्टोरियन और नव जागरण काल के वास्तुशिल्प के कारण जाने जाते हैं। ग्लासगो स्कॉटिश बैले, थियेटर और स्कॉटिश ऑपेरा का प्रमुख केंद्र है. भारतीय, विशेषकर सिख और पंजाबी यहाँ काफी तादाद में रहते हैं. आलिशान भवनों का केंद्र होने के वावजूद खुले मैदान और गार्डन यहन प्रकृतिक संतुलन को बनाये हुए हैं , हमारे टूर आपरेटर ने हमें यहाँ ज्यादा घूने का अवसर नहीं दिया।
हमारा अगला पड़ाव लोच लोमान था, स्कॉटिश भाषा में लोच का अर्थ झील होता है. यह झील कोई 22 मील लम्बी है और विशाल इलाके में फ़ैली हुई है और स्कॉट लैंड की सबसे बड़ी झील है. झील में 50 व्यक्ति क्षमता वाले क्रूज़ शिप चलते हैं. हमने भी क्रूज़ शिप की कोई डेढ़ घंटे की राइड ली, झील के चारों और का वन संरक्षित है इसके दक्षिणी किनारे के साथ जो पर्वत शृंखला है उसे बेन लोमोन कहते हैं, यह पर्वतारोहियों की स्काट लैंड में सबसे पसंदीदा पहाड़ियां हैं। इस क्रूज़ के दौरान मुझे याद आ गया कि यह सारा क्रूज़ और सामने का नज़ारा नब्बे के दशक की रानी मुखर्जी की फिल्म 'कुछ कुछ होता है' में देख चुका हूँ। क्रूज़ के बाद वापस हम वैन में आ गए, अब यहाँ से झील के किनारे किनारे दौने कैसल की तरफ से निकले, यह क्षेत्र कभी रॉब राय मैक्ग्रेगोर की अभय स्थली हुआ करता था, स्काट लैंड में राब को राबिनहुड का दर्जा मिला हुआ है . इसके बाद एक छोटा सा लेकिन सुन्दर सा शहर कालेंडर पड़ा, टीथ नदी के किनारे बसा यह शहर हाइलैंड्स जाने आने के लिए संपर्क बिंदु है , 300 मीटर की ऊंचाई तक के पहाड़ इस से सटे हुए हैं. यहाँ से ट्रासच वन क्षेत्र शुरू हो जाता है , इसके उत्तर में बेन आन और दक्षिण में बेन वेन्यू है पश्चिम में लोच कत्रिने और पूर्व में लोच अचत्रेय है, इस क्षेत्र की प्रकृतिक सुंदरता सर वाल्टर स्कॉट को भा गई थी उनकी कई रचनाएं विशेष रूप से कविता ले'डी ऑफ़ द लेक यहीं से प्रेरित थी.
यहाँ से ऐतिहासिक शहर स्टर्लिंग की ओर रवाना हुए, इस शहर स्टर्लिंग कैसल के सामने फ़ैली विशाल घाटी में बसा है , इस का इतिहास काफी पुराना है आधुनिकता की आहट के वाववजूद यह शहर आज भी इतिहास की पुस्तक का फोटोग्राफ लगता है। कैसल काफी ऊंचाई पर है, स्कॉट लैंड के मध्य में अवस्थित होने के कारण इसका सामरिक दृष्टि से बड़ा महत्त्व रहा है, जिसका इस पर कैसल पर अधिपत्य रहा उसी का स्कॉट लैंड शासन रहा है.कभी इस इलाके में वाइकिंग लोगों का दबदबा भी रहा यह बहादुर लड़ाका समुद्र के रास्ते योरोप के नार्वेजियन क्षेत्र से आये थे, ये अपने युद्ध कौशल के कारण 9 वीं शताब्दी में स्काट लैंड परिदृश्य पर एक बड़ी ताकत में उभरे थे, कैसल में घूमते घूमते हमारी मुलाकात एक ऐसे परिवार हुई जिनका फैमली ट्री वाइकिंग परम्परा से जुड़ा हुआ है,परिवार के मुखिया वाइकिंग पोशाक में थे ,उनके सर पर लोहे का टोप जिसमें सींग निकले हुए थे ,सीने पर लोहे का जिरह बख्तर, चमड़े का जैकेट , हाथ में तलवार ऐसा लग रहा था जैसे युद्ध के मैदान से सीधे कैसल में पहुँच रहे हों
. हमने बात की तो पता चला कि वे स्थानीय स्कूल के बच्चों को एक ऐतिहासिक प्ले की तैयारी कराने आये थे !
स्कॉट लैंड में कहीं भी चले जाइए स्कॉच व्हिस्की की तरह तरह की वैराइटी मिल जाएंगी, स्टर्लिंग भी इसका अपवाद नहीं है, कैसल पास ही एक काफी पुराना पब था जहां की विशेषता हाईलैंड की रिजर्व स्कॉच थी.यहाँ पर करीब की ग्लेनगोयेन डिस्टलरी की बनी कई स्कॉच टेस्ट करने का अवसर मिला किसी में सेब तो किसी में लौंग का फ्लेवर महसूस हुआ, पब ओनर ने बताया कि डिस्टलरी के करीब सेब के बागान हैं, जब वहां बारले को माल्ट प्रोसेस से गुजारा जाता है वह स्वभाविक रूप से सेब केअरोमा को आत्मसात कर लेता है. अगर देखा जाय तो जाने माने ब्रांड की स्कॉच में यह अरोमा और स्वाद नहीं मिलेगा।
शाम को सात बजे वापस एडिनबरा पहुंचे , आज लोच यानी झीलों और बेन यानी पहडियों के बीच रम्य परिवेश में समय गुजारने का जो अवसर मिला वह हम बम्बईवासियों के लिए एक अलग ही अनुभव था, ठंडी और सुगन्धित हवा, पेड़, पौधे, झरने, झील, पहाड़ी रस्ते मानस पटल पर स्थाई रूप सेअंकित हो गए। भूख लग रही थी जा कर अपार्टमेंट के पास में ही मदर इंडिया रेस्टोरेंट में विशुद्ध भारतीय भोजन किया। अगला दिन एक बार फिर से ओल्ड टाउन की वही प्राचीन सड़कों पर टहलते हुए और ऐतिहासिक भवन वास्तुशिल्प को कैमरे की कैद करते हुए निकाला. शाम के लन्दन ट्रेन पकड़ कर वापस बारह बजे घर पहुँच गये.
22.09.2015

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