Close Encounter with Mother of All Parliamentary Democracies : संसदीय डेमोक्रेसी की माँ से एक मुलाकात

संसदीय डेमोक्रेसी की मां  से एक मुलाकात
                                               -  लन्दन से प्रदीप गुप्ता
अगर आपसे कोई सवाल करे कि संसदीय डेमोक्रेसी  की मां  कौन है तो आप इसका क्या उत्तर देंगे ?
यदि आपका उत्तर भारत है तो यह उत्तर आंशिक रूप से सही है , भारत में अब से  हज़ारों वर्ष पहले से स्थानीय शासन गणतंत्रों के माध्यम से संचालित होता था लेकिन पूरे देश के शासन में राजाओं की ही चलती थी. लेकिन आधुनिक संसदीय डेमोक्रेसी की शुरुआत ब्रिटेन में वेस्टमिनिस्टर से हुई. संसद की परम्परा को यहाँ आठ सौ  से भी अधिक वर्ष पूरे हो चुके हैं।  वेस्टमिनिस्टर ने अपने इस लम्बे जीवन में काफी उत्तर चढाव देखे हैं फिर भी यह दुनिया भर के दूसरे लोकतंत्रों के लिए आज भी प्रेरणा और आदर्श बना हुआ है। संयोग से आज मुझे ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों में जाने और उसके सत्रों को देखने और सुनने का अवसर मिला , जिससे अंदाजा लगा कि यहाँ की प्रणाली की जड़ें कितनी गहरी हैं , काश, हमारे देश के सांसद यहाँ के सत्र सञ्चालन और उसमें सांसदों की सहभागिता के तौर तरीके  को देख कुछ  नसीहत लें  तो शायद हमारी संसदीय प्रणाली में थोड़ी परिपक्वता आ जाए।

आज का  यह ब्रिटिश संसद अनुभव मेरे मित्र लार्ड राज लुम्बा के कारण संभव हो पाया जो मेरी  इस यात्रा में गाइड की तरह साथ में जुड़े रहे. हमारी यात्रा की शुरुआत वेस्टमिनिस्टर के पियर गेट से हुई जो  हाउस आफ लार्ड्स का प्रवेश द्वार है. हमारे आगमन की पूर्व सूचना गेट पर थी इसलिए वहां की सिक्युरिटी ने हमें रिसेप्शन की ओर निदेशित कर दिया. रिसेप्शन पर बिना किसी असुविधा के कुछ ही सेकेण्ड में हमारा प्रवेश पत्र हमारे हाथ में था. लार्ड बताते हैं कि बाहरी व्यक्तियों को यहां प्रवेश और निर्बाध घूमने की प्रक्रिया बहुत सहज  सी  दिखती है लेकिन 600  से भी अधिक कुशल रूप से प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मी हर समय चाक चुस्त चौबंद रहते हैं और उनकी आँख से कोई चीज बचना मुश्किल है।

 हाउस आफ लॉर्ड्स का सेशन प्रगति पर था, हम सांसदों के बीच की बहस को उत्सुकता  से सुन रहे थे , वक्ता के लिए छै मिनट का समय निर्धारित किया जाता है, इस बीच में कोई टोका टाकी नहीं होती है, यदि किसी विपक्षी सदस्य को उठाये गए मुद्दों पर कोई प्रतिक्रिया देनी होती है तो बड़े दमदार तरीके से देते हैं. हाँ, हाव - भाव की आक्रमकता नहीं दिखाई देती है, निर्धारित समय से ज़रा भी अधिक समय लेने पर स्पीकर विनम्रता पूर्वक सदस्य को आगाह कर देते है

हाउस आफ लॉर्ड्स में इस समय 800 से भी अधिक सदस्य हैं , अगर वे सभी एक दिन उपस्थित हों तो सब के वैठने की व्यवस्था भी नहीं हो पाएगी , जहाँ हाउस आफ कॉमन्स में सदस्य का कार्यकाल पांच वर्ष के लिए निर्धारित होता है वहीँ   हाउस आफ लॉर्ड्स की सदस्य्ता स्थायी है, एक बार लार्ड बनने का अर्थ है कि पूरी जिंदगी के लिए हाउस आफ लॉर्ड्स  के सदस्य बने रहेंगे।  रोचक बात यह है कि हाउस आफ लॉर्ड्स के सदस्यों को कोई वेतन नहीं मिलता है , ऐसे लोगों का चयन किया जाता है जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं, हाँ, हाउस के सत्र के दौरान उपस्थित सदस्यों को दैनिक भत्ता  जरूर मिलता है, अपने क्षेत्र के अनुभवी, प्रतिष्ठित और उम्रदराज लोगों को सत्ता पक्ष और विपक्ष के दल लार्ड के टाइटिल के लिए नामांकित करते हैं, बाद में महारानी की सहमति के बाद ही इस नामांकन पर स्वीकृति की मुहर लग पाती है। इन दिनों ब्रिटिश संसद में बहस का मुद्दा यह है कि किस तरह लॉर्ड्स की संख्या को सीमित किया जाय , क्योंकि जो एक बार बन गया उसका स्थान तो उसकी मृत्यु के बाद ही खाली होगा, हर साल औसतन बीस के करीब लार्ड स्वर्गासीन हो जाते हैं लेकिन 40  नए नामांकित हो जाते हैं , यह देखना रुचिकर होगा कि ब्रिटिश संसदीय प्रणाली इस चुनौती से किस तरह निबटती है.

वेस्टमिनिस्टर कभी राजमहल हुआ करता था , और प्राचीन काल में  यहाँ के एक हिस्से में राजा सामंत और श्रेष्ठिजनों से विभिन्न मामलों में सलाह देने के लिए संवाद किया करता था लेकिन यह उसकी मर्जी होती थी कि वह उसे माने या न माने , 121 5 के मेग्ना कार्टा के बाद स्थिति बदली।  लेकिन सही मायनों में हाउस आफ कॉमन में  पूरी ब्रिटिश जनता के चुने हुए नुमाइंदे 1654  से ही आने प्रारम्भ हुए। जिस दिन से  ब्रिटिश जनता को अपने   प्रतिनिधियों के चयन का अधिकार मिला   , राज शाही ने वेस्टमिनिस्टर का एक भाग जन प्रतिनिधियों के लिए  आवंटित कर दिया, यही हाउस आफ कॉमन्स कहलाता है । लेकिन राजा या रानी ने कभी  इस क्षेत्र में  कदम नहीं रखा,  इसी तरह से  हाउस आफ कॉमन्स के सदस्य हाउस आफ लॉर्ड्स या रानी के कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकते हैं. यही नहीं उनके द्वारा पास किया हुआ कोई बिल तब तक क़ानून नहीं बनता है जब तक कि अपर सदन उस पर स्वीकृति की मुहर न लगा दे.

 ब्रिटिश संसद में किसी बिल पर मतदान का तरीका पूरी तरह पारदर्शी है, जो सदस्य बिल के पक्ष में होते हैं वे मतदान के समय एक निर्धारित गैलरी में वैठते हैं और दूसरी गैलरी में बिल के विपक्ष में मत देने वाले सांसद रहते हैं, इस हाई  टेक युग में भी सदस्यों के मत की  गिनती सदियों से चले आ रहे तरीके यानि उनकी गिनती करके की जाती है। वेस्टमिनिस्टर में महारानी का अपना  कक्ष   है तो उसमें वह एक  विशेष कुर्सी पर राजसी रोब पहन कर वैठती  है , यहीं वह हर वर्ष नव चयनित लॉर्ड्स और उनके परिवार से मिलती है और उन को राजसी रॉब प्रदान करती है.यद्यपि ब्रिटेन में राजशाही है उसके वावजूद संसद के द्वारा लिए गए निर्णय ही सर्वोच्च हैं,

ब्रिटिश संसद  में एक विशेष कक्ष वेस्टमिनिस्टर हाल  है जहाँ अब तक बारह बार  दोनों सदनों का संयुक्त सत्र हुआ है , राष्ट्रपति ओबामा, बर्मा की विपक्षी नेता अंग सान  सू की, नेल्सन मंडेला , राष्ट्रपति चार्ल्स दि  गाल और पोप ही वे बाहरी नेता हैं जिन्हे यह सम्मान मिला है. राजसी घराने में यदि किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उसका पार्थिव शरीर इसी विशाल हाल में  बने प्लेटफार्म पर दर्शनों के  लिए रखा जाता है.

वेस्टमिनिस्टर महल टेम्स नदी  के उत्तरी  किनारे पर 11 वी शताब्दी के मध्य में बना था, 1834 में इस भवन में भीषण आग लगने से इसका एक भाग  जल गया था. तब जाने माने वास्तुविदों को इसके पुनर्निर्माण के लिए आमंत्रित किया गया था,  इनमें से चार्ल्स  बेरी के रेस्टोरेशन प्रस्ताव को मंजूरी मिली और पुनर्निर्माण का कार्य  35  वर्षों में पूरा हुआ।   ब्रिटिश संसद का यह भवन वास्तु कला का उत्कर्ष नमूना है, गोथिक शैली में बने भवन में पूरी संरचना लकड़ी के बिना जोड़ के आर्च पर टिकी हुई है।   गैलरियों में जो  पुरानी पेंटिंग्स  बनी हुई है वे भी अपने आप में अद्वित्य हैं और इनके माध्यम से ब्रिटिश इतिहास जीवंत हो गया है. इनमें से मुझे तीन  पेंटिंग्स ने आकर्षित किया, पहली   विशालकाय पेंटिंग फ्रांसीसी युद्ध और नेल्सन के वध की है, दूसरी में फ्रांस के युद्ध के दौरान ड्यूक आफ वेलिंग्टन और फील्ड मार्शल ब्लशर के बीच के संवाद को दिखाया गया है , ये दो निर्णायक घटनाएं थीं जिन्होंने  इतिहास की धारा को बदल कर रख दिया।  यदि इस युद्ध में ब्रिटेन की जीत नहीं होती तो ब्रिटेन का इतिहास कुछ और ही होता। तीसरी पेंटिंग भी काफी बड़ी है इसमें मुग़ल दरबार में ब्रिटिश प्रतिनिधि मुग़ल राजा को  व्यापार प्रारम्भ करने का अनुरोध पत्र देते हुए दिखाया है, इन ब्रिटिश  प्रतिनिधियों ने  मुग़ल राजाओं को  सुरा, सुंदरी, मंहगे उपहार देने की शुरुआत करके भारत में अपना विशाल राज्य फैलाने में  सफलता हासिल की जो मुगल सैकड़ों युद्ध करके हासिल कर पाये थे  !

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन विमानों ने ब्रिटिश संसद को लगातार अपने निशाने पर रखा, 1941 में हुए  हमले में हाउस आफ कॉमन्स का मध्य हिस्सा ध्वस्त हो गया था , कहते हैं कि इस घटना ने तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के युद्ध में नाजियों को हराने  के संकल्प को और भी मजबूत कर दिया था, बाद में इसका पुर्निर्माण किया गया तो यह ख़ास ख्याल रख गया कि कहीं से भी यह नहीं लगे कि यह दोबारा बनाया गया है। हम जब इस पुनर्निर्मित हाल में खड़े हुए थे तो सच में यह अंदाजा नहीं लग पा रहा  था, कहीं कोई जोड़ नहीं न ही एक मिलीमीटर कोई हिस्सा अलग सा दिख रहा था.

 ब्रिटेन का कोई लिखित संविधान नहीं है उसके वावजूद  यहाँ पर लोकतंत्रीय  संकल्पना और  संसदीय परम्परा आज भी प्रगतिशील  प्रक्रिया है, यहाँ पर परम्परा और साथ ही समाज के बदलते स्वरूप को देखते हुए मानव अधिकार, फैक्ट्री श्रमिकों के अधिकार, सिविल लिबर्टी के क्षेत्र में काफी काम हुआ है जिसका अनुसरण अन्य देशों ने किया है, पिछले तीन दिनों से संसद में इच्छा मृत्यु पर बहस चल रही है और शीघ्र ही बिल पास होने जा रहा है. कई सांसदों से बात करके मुझे ऐसा लगा कि यहाँ पर आज भी सांसद अपने आप को जनप्रतिनिधि ही मानते हैं जो एक स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है.

16.09.2015.                                     




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