Road Trip to Spokane - ट्रिप -स्पोकेन यात्रा
विदेश प्रवास -रोड ट्रिप -स्पोकेन यात्रा
भारत में अमरीका को पूँजीवादी व्यवस्था कह कर काफी कोसा गया है और हमारे साधू ,संत और महात्मा उन्हें भोग विलासिता में डूबी हुई संस्कृति कह कर फब्तियां कसते रहे हैं. सच यह है कि आज तक तकनीक , प्रोद्योगिकी और यहाँ तक कि परियोजनाओं के लिए उन्ही की ओर तकते रहे हैं , और यह साधू संत सबसे ज्यादा पैसा वहीँ पर खोले हुए आश्रमों से या फिर वहां के अनुनायियों से कमाते आ रहे हैं। यही नहीं, आज भी किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय राजनीतिज्ञ अमरीकी इंडोर्समेंट की प्रतीक्षा करते रहते हैं। अमरीका के किसी भी शहर में जा कर देख लीजिये , वहां के सामान्य नागरिकों में योग और भारतीय चिकित्सा पद्यति के बारे में जो जानकारी है वह शायद किसी भारतीय को भी अचंभित कर दे। यही नहीं वे सप्ताह में पांच दिन पूरी निष्ठां से अपने कार्य या व्यवसाय में लगे रहते हैं. फिर अपनी हैसियत के अनुसार दो दिन प्रकृति की गोद में अपने पूरे परिवार, जिसमें पालतू जानवर भी शामिल हैं, के साथ मानसिक और शारीरिक विश्रांति के लिए निकल पड़ते हैं। स्थानीय भाषा में इसे रोड ट्रिप कहा जाता है। निर्जन स्थानों में, टेन्ट या , ट्रेलर जमा लेंगे, नहीं तो किसी वेकेशन होम में ही रुक जाएंगे. वहां , खाना , पीना, मनोरंजन , जंगल ट्रेल पर पद या फिर साइकिल यात्रा सब कुछ करेंगे पर क्या मजाल कि कहीं पर कोई कचरा छोड़ कर आएं. इसी लिए आप कहीं भी चले जाएँ कोई गंदगी नहीं मिलेगी, भारतीय पर्यटन स्थलों पर जा कर देखिये स्थिति बिलकुल पलट है, ऐतिहासिक स्थानों पर हनीमून कपल अपने नाम कहीं पत्थर से तो कहीं अन्य तरह से गोद कर डिफेंस करके अपना प्यार का जीवन धन्य मानते हैं. यही नहीं जहाँ जहाँ पर्यटक जाते हैं अपने बचे हुए खाने पीने और पैकिंग मेटीरियल को अपनी निशानी के रूप में छोड़ कर आ जाते हैं, धार्मिक स्थलों का हाल तो और भी खराब है , कई जगह तो नाक पर रुमाल लेकर चलना पड़ता है , कई भारतीय पर्यटकों को रुमाल की भी जरुरत नहीं पड़ती है क्योंकि वे ऐसे ही माहौल में रह कर पले और बड़े हुए हैं ! हाँ, हैरानी की बात यह है कि अमरीका में बेस प्रवासी भारतीय अब यहाँ की तहजीब में रच बस चुके हैं, इस लिए साफ़ सफाई में वे अन्य अमरीकी नागरिकों से किसी भी मायने में पीछे नहीं हैं।
स्पोकेन मेरा अमरीका का तीसरा रोड ट्रिप रहा. सिएटल वाशिंगटन राज्य का धुर पश्चिमी इलाका है, जहाँ सिएटल जल या फिर वायु मार्ग से दुनिया के आख़िरी फ्रंटियर अलास्का का प्रवेश द्वार है तो स्पोकेन राज्य का धुर पूर्व में है और बस यह तीन अन्य राज्य इडाहो, मोन्टाना और ऑरेगॉन की सीमाओं से जुड़ा हुआ है , कनाडा के बार्डर तक महज दो घंटे में पहुंचा जा सकता है .
अपनी यात्रा की शुरुआत सुबह नौ बजे हुई , सिएटल का मौसम काफी ठंडा था, बादल छाए हुए थे , यही कोई ५८ डिग्री फा. रहा होगा, जबकि नेट पर स्पोकेन का तापमान ८५ डिग्री देखा था सो कपडे उसी के हिसाब से पहने थे, शॉर्ट्स और टी शर्ट , दरवाजे से कार तक पहुँचते पहुँचते लगा गलती कर ली है वापस जा कर जीन्स , पूरी बांह की कमीज और जैकेट पहनी तब कहीं जा कर थोड़ी भरक लगी. सिएटल हरी भरी पहाड़ियों और झीलों का शहर है , लगता नहीं कि यहाँ आबादी होगी जहाँ तक निगाह जाती है बिना किसी रुकावट के प्रकृति से संवाद किया जा सकता है। आगे लगभग १०० मील तक यही हरा भरा परिदृश्य, कहीं घने वृक्षों के बीच बीच में घास के ढलान और इक्का दुक्का लकड़ी के बने घर, इस बीच काफी दूर तक स्वच्छ जल की नदी सड़क के साथ साथ अजगर की तरह बल कहती हुई चलती चली गयी। कोई शहर कोई बस्ती लगता ही नहीं रही होगी, दूर कैस्केड पर्वत श्रृंखला की बरफ से ढकी चोटिया भी दिख रही थीं। हाँ, एक रेस्ट एरिया जरूर पड़ा जहाँ रिपब्लिकन पार्टी के एक वालंटियर मुफ्त में चाय, काफी, बिस्कुट, पाप कॉर्न ऑफर कर रहे थे, ठंडा मौसम और उस पर गरम गरम चाय , काफी आनंद आ गया। लेकिन एक बात मैंने नोट की अमरीका वासी कोई चीज मुफ्त में स्वीकार नहीं करते हैं , महिलाएं, बच्चे, पुरुष बिस्कुट, पॉप कार्न , चाय ,काफी उठा तो रहे थे पर पास ही रखे दान पात्र में अपनी हैसियत के हिसाब से से डॉलर बिल डालते जा रहे थे. रेस्ट एरिया पार कर के जब हम मित्रों का कारवां आगे बढ़ा तो धीरे धीरे प्राकृतिक लगा, हरे भरे पर्वतों की श्रंखला का स्थान अब मैदानी किस्म के लैंडस्केप लेने लगे, दूर दूर तक मैदानी इलाका ही दिखाई दे रहा था, फिर कोलम्बिया नदी का विशाल फाट पड़ा, यहाँ से कुछ ऊँचे नीचे रास्तों पर सड़क पार करते ही साइडों की संख्या में विंड मिल , मध्य वाशिंगटन इलाके में वायु के प्रवाह को इन विशालकाय विंड मिल के जरिये इस्तेमाल में लेकर क्लीन एनर्जी पैदा की जा रही है , वैसे भी कोलम्बिया नदी पर जगह जगह बाँध बना कर विद्युत ऊर्जा पहले से ही पैदा की जा रही है. मध्य वाशिंगटन राज्य में मीलों के इलाके में असमतल भूमि पर गेंहूँ, फलों और सब्जियों की खेती की जा रही है, जहाँ तक निगाह जाती है खेत ही खेत हैं ,खेती को पानी देने के लिए पहियों पर चौथाई मील लम्बे स्प्रिंकलर का इस्तेमाल किया जाता है , हैरानी की बात यह है की कहीं गॉव या किसान नजर नहीं आते हैं , मजदूर का कम से कम , फिर भी यह राज्य सेव, नेकटराइन, अंगूर, गेहूं और सब्जियों की पैदावार में अव्वल है, मजदूरों की कमी को तरह तरह के छिड़काव आदि के लिए विमानों की मदद ली जाती है.
यही कोई २०० मील का सफर तय करके पौलुप फॉल पहुंचे, यह अपने आप में एक विलक्षण फॉल है, क्योंकि कहीं आस पास बर्फ नहीं पड़ती, इस इलाके में बारिश कम ही होती है , पता नहीं इन पहाड़ों के अंदर कितना और कब से पानी जमा है जो कोई २०० फिट की ऊंचाई से सदियों से निरंतर गिर रहा है , पौलुप नदी यहीं से निकली है। पर्यटक रोज बड़ी संख्या में पहुँचते हैं, कई पास की पहाड़ी पर अपने तम्बू तान कर रात भी बिताते हैं. इस निर्जन क्षेत्र में एक रेल ट्रेक भी पहुंचता है , शायद यह इस इलाके के उत्पाद ढोने के लिए बिछाया गया हो. लोग बाद इस एकाकी और निर्जन स्थान में बड़े मजे से कैंपिंग भी करते हैं ताकि प्रकृति से अकेले में साक्षात्कार तो कर ही सकें और साथ ही अपने परिवार और करीबी लोगों के साथ कुछ दिन बिता सकें।
पौलुप फाल से आगे स्पोकेन तक के सफर में कोई विशेष बात नहीं थी बस जहाँ तक दृष्टि जाती थी बस हरे भरे खेत और क्षितिज पर उनसे मिलता नीला आकाश, कोई धुल नहीं कोई गंदगी नहीं इसलिए पूरा परिदृश्य ऐसा जैसे किसी ने पिक्चर फ्रेम में जड़ कर छोड़ दिया हो। लेकिन मीलों तक कोई आबादी कोई गांव नहीं, जब स्पोकेन से यही कोई पंद्रह मील की दूरी रह गयी तो एक बार फिर से हरी भरी पहाड़ियां और छोटी बड़ी झीलें दिखनी शुरू हो गयीं।
स्पोकेन की आबादी मुश्किल से कोई २ लाख है लेकिन बहुत ही सुन्दर और साफ़ सुथरा नगर है , कनाडा के राकी माउंटेन श्रंखला से स्पोकेन नदी रवाना हो कर कर यहां पहुँचती है , जिस का पानी यहाँ के ऊँचे - नीचे लैंडस्केप में आ कर तेजी से नीचे की ओर गिरता है, इस फॉल पर लगभग १०० वर्षों से विद्युत बनाई जा रही है.
हम लोग यहाँ के क्वालिटी इन होटल में रुके, यह मध्यम रूम रेंट वाला होटल है , मुस्कान के साथ द्वार खोलने वाली कोई न कोई लड़की या दरबान , होटल में न्यूनतम स्टाफ लेकिन सारी व्यवस्था चुस्त चाक चौबंद, साफ़ सुथरे फंक्शनल कमरे , यहाँ के होटल भारत के होटलों से इस मायने में भिन्न है कि ये टर्न ओवर पर कमाना चाहते हैं न कि एक आध कस्टमर की जेब पर हमला करके, डॉलर की कीमत के हिसाब से अमेरिका में ७५ से ८० डॉलर प्रतिदिन का कमरा बाजिव दाम का माना जाएगा, जिसे एक माध्यम वर्गीय परिवार बिना किसी दिक्कत के ले सकता है, फिर इस रेंट में ब्रेकफास्ट भी शामिल है।
स्पोकेन का इतिहास आर्थिक दृष्टि से काफी उत्तर चढाव भरा रहा है. अब से ८००० से १३००० वर्ष के बीच यहाँ पर उत्तर से स्पोकेन कबीले के लोग यहाँ आये थे, ये लोग जीवन यापन के लिए शिकार करते थे, स्थानीय भाषा में स्पोकेन का अर्थ सूर्य पुत्र है। श्वेत लोग इस इलाके में १८०० के करीब ब्रिटिश कोलंबिया की ओर से फर के व्यवसाय के लिए यहाँ आये थे.१८८२ से १८९३ के बीच यहाँ के पास के इलाकों में सोने चंडी की खदानों के कारण इस इलाके के भी दिन फिर गए. लेकिन १८९० के आस पास यहाँ एक बड़ी आग के कारण शहर लगभग तबाह हो गया, लेकिन यहाँ के उद्यमियों के अथक प्रयासों से यह नगर फिर से खड़ा हो गया, रेल ट्रेक बिछ जाने से यह उत्तर और पछिम के बीच रेल का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। इस नगर के साथ एक और खासियत जुडी हुई है , १९१० के आस पास ही यहाँ पर ८३ छोटे बड़े पार्कों के लिए १० वर्ग मील से भी अधिक भूमि आबंटित कर दी गयी थी कोई आश्चर्य नहीं कि यह नगर पश्चिम अमेरिका के अन्य नगरों से पार्कों के मामले में कहीं आगे निकल गया. संन ७४ में वावजूद इस के छोटे आकार के , यहाँ अंतरराष्ट्रीय इवेंट एक्सपो आयोजित हुआ , इस के कारण यहां का एक तरह से कायाकल्प ही हो गया. ऐसा नहीं कि यहाँ सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है , अपराधों के मामले में यह नगर बहुत संवेदनशील है, देर गए रात तक घूमना खतरे से भरा है, आस पास में सोने, चांदी, लेड के खनन का काम कम हो गया है, इस लिए रोजगार के अवसर काम हो गए हैं। , वाशिंगटन राज्य के सियाटल और पोर्टलैंड नगरों ने जहां आईटी और नए उद्योग कौशल के बल पर बढ़त हासिल कर ली है, स्पोकेन में इस प्रकार की कोई जॉब नहीं हैं , नगर की अर्थ व्यवस्था केवल कृषि आधारित व्यवसाय, कुछ सीमा तक विश्वविद्यालय, मेडिकल और पर्यटन पर निर्भर है. शायद कोई चमत्कार ही यहाँ की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर सकता है.
स्पोकेन को लाईलक (Lilac) नगर भी कहते हैं , क्योंकि यहाँ के हर पार्क सुगन्धित लाईलक पुष्पों की झाड़ियों से भरा हुआ है , जिन दिनों इस पुष्प का ब्लूमिंग सीजन होता है पार्कों में ऐसा लगता है जैसे किसी ने पार्क में लाईलक परफ्यूम का छिड़काव कर दिया हो. संयोग से हमारे इस ट्रिप के दौरान भी लाईलक झाड़ियाँ पुष्प गुच्छों से भरी हुए थीं इस लिए यहाँ का अनुभव अविस्मरणीय बन गया.
कहने को यह २ लाख की आबादी वाला छोटा सा नगर है फिर भी एक बड़े नगर जैसा इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, रिवर पार्क स्क्वायर डाउन टाउन का केंद्र बिंदु है ,रिवर पार्क से स्काई गंडोला की राइड लेकर स्पोकेन फॉल के काफी करीब पहुँच कर फॉल की सुरम्यता का मजा लिया जा सकता है। एक ताय ट्रैन भी है जिसमें विथ कर आधे घंटे में रिवर फ्रंट, परफार्मिंग सेंटर, बड़े पार्क परिदृश्य , डाउन टाउन का नज़ारा भी मिल जाता है। डाउन टाउन में मैसी, नार्डस्टॉर्म जैसे बड़े स्टोर हैं,स्ट्रीट शॉपिंग का विकल्प भी है. पब, रेस्त्रां हैं जो जाने माने ब्रैंडन के साथ ही आस पास की वाइनरी और ब्रुएरी की वाइन और बियर भी परोसते हैं , भोजन के लिए थाई, भारतीय, चाइनीज, मेडिटेरेनियन, कांटिनेंटल और अन्य कई किस्म के विकल्प उपलब्ध है।
दो दिन के स्पोकेन प्रवास में साथ गए परिवारों के साथ मिल कर इस नगर को करीब से महसूस करने का अवसर मिला , साथ ही एक बंधुत्व जैसा भाव भी जगा, जो कि सामान्य परिस्थिति में संभव नहीं है।

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