एक टांग पर विवाह

क्या शीर्षक पढ़ कर हंसी आ गयी, पर यह मेरे पिछले ४० दिनों की राम कहानी है। मेरे बेटे का विवाह कोई १ दिसंबर के आस पास दिल्ली से तय हुआ था , ख्याल आया कि यदि यह विवाह दिल्ली में गया तो अपने अधिकाँश मुंबईवासी मित्र वहां पहुँच ही नहीं पाएंगे। वधु पक्ष से बात हुई , उनके लिए मुंबई इतना बड़ा आयोजन करना संभव नहीं लग रहा था , मैंने दोनों पक्षों की जिम्मेदारी लेकर आयोजन का निर्णय लिया। फ़टाफ़ट मेहमानों की आवासीय व्यवस्था , अतिथि सूची , आमंत्रण प्रेषण , कैटरर का चयन , पुष्प सज्जा, स्टेज , डी जे , संगीत संध्या, परंपरागत इवेंट्स, कॉकटेल इवनिंग ढेर सारे काम या यूं कहिये वर - वधु पक्ष दोनों की जिम्मेवारी ओढ़ ली। इस सारे आयोजन के बारे में सोच सोच कर बहुत आनंद आ रहा। इसी बीच मैंने अपने फ्लैट में शिफ्ट किया , अगले दिन सोचा गैस के पेपर गैस एजेंसी में दे दूँ। बस एजेंसी से बाहर निकला ही था कि पीछे से एक १६-१७ साल का एक नौजवान पूरी स्पीड में फुटपाथ पर आ चढ़ा और सीधे मुझे ठोक दिया, धक्का इतना जबरदस्त था कि मैं चार पांच फिट ऊपर उछल कर सीधे जमीन पर आ गिरा। आस पास के लोग आ जुटे , मुझे उठाया एक क्षण तो मुझे लगा जैसे कि मेरा दिमाग ही काम नहीं कर रहा हो, इधर कुछ लोगों ने मुझे हिट करने बाले नवयुवक को पकड़ लिया , इतने लोगों को देख कर वह घबरा गया और कहने लगा में भाग नहीं रहा हूँ सामने नर्सिंग होम है वहां ले चलता हूँ. भीड़ से कई लोग हमारे साथ आर्थोपेडिक नर्सिंग होम तक चले, मेरे बाएं हाथ से खून रिस रहा था और सीधे पैर से चला ही नहीं जा रहा था. जांच से पता लगा ज्यादा गंभीर चोट नहीं हैं पर घुटने में फ्रैक्चर निकला . मुंबई में घर में हम दो ही प्राणी, डाक्टर ने कहा अपने किसी रिश्तेदार को बुला लीजिये। नए घर में पहुंचे हुए एक ही दिन हुआ था, घर का तीन चौथाई सामान अनपैक्ड पड़ा हुआ था. अगर मैं अपनी पत्नी को फोन करके नर्सिंग होम बुलाता तो उस बेचारी की आधी जान निकल जाती। बरहाल प्लास्टर चढ़वा कर वाकर के साथ जब में घर पहुंचा तो मुझे देख कर मेरी पत्नी के चेहरे पर जो प्रतिक्रिया हुई वह अभी तक मेरे दिमाग में जमी हुई है. कहने को हेयर लाइन फ्रैक्चर था लेकिन सावधानी ऐसी कि पैर हमेशा सीधा बैड पर रखना था, एक ऐसे व्यक्ति को जो जीवन भर २४ x ७ भागते दौड़ते काट गयी ऐसे में फ्रैक्चर पैर के साथ घर की चाहर दीवारी में कैद होना किसी सजा से काम नहीं था. फिर वो भी ऐसे अवसर पर जबकि अपने इकलौते बेटे की शादी सर पर हो। ईश्वर का लाख लाख शुक्र है कि इन दिनों इंटरनेट है, मोबाइल फोन है, सारी व्यवस्था घर में वैठे वैठे हो गयी, नेट पर रेटिंग के आधार पर वेंडर चुने , सच में एक से बेहतर एक निकला , जितने भी वार या बधु पक्ष के रिश्तेदार या फिर मेहमान आये कोई कमी नहीं निकाल पाये। इन दिनों विवाह का एक महत्वपूर्ण अंग संगीत है, जिसे पहले कभी लेडीज संगीत कहा करते थेय इन दिनों संगीत को स्त्री पुरुष बच्चे और नौजवान सभी शामिल होते हैं. यदि आपके पास पैसा ज़रा ज्यादा है तो इस इवेंट के लिए प्लानर मिल जायेंगे जो बीस हज़ार से बीस लाख तक में एक रात की यादगार महफ़िल सजा देते हैं. हमने भी अपने लाफ्टर क्लब के दो नौजवान साथियों को यह जिम्मेवारी सौंपी थी लेकिन वह लोग क्यों इसे नहीं अंजाम तक पहुंचा पाये इस के लिए एक पूरा विस्तृत लेख लिखना पडेगा। मेरे बेटे का का बचपन का साथी क्वालिफाइड इंजीनियर है टीसीएस में काम करता था अब इन दिनों अभिनय के भूत के कारन अच्छी भली नौकरी छोड़ कर स्ट्रगल कर रहा है, उसने चाँद घंटों में मेरे की परिवार के अंतरंग सदस्यों के साथ मिल कर शाम को एक यादगार हसीन शान में बदल दिया. मैं पूरे विवाह समारोह पर खड़ा हो कर मोबाइल के जरिये सारी व्यवस्था को मॉनिटर करता रहा और इस तरह यह इनवेंट अपने किस्म की यादगार इवेंट बन गयी।

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