Ghazal : Lamha
एक लम्हा हूँ मुझे जी कर देखो
एक कतरा हूँ मुझे जी कर देखो
तुम मेरा वजूद खोजने आये
आसमां पे जाओ जमीं पे देखो
मेरी चाहत कहाँ ले जायेगी
सफ़र लंबा है कई सदी तक देखो
मेरी साँसों में कुछ अटकता है
इक नज़र तो जरा इधर देखो
इसमें सदियों की चुभन बसती है
मेरे चेहरे की लकीरें पढ़ कर देखो
रंग जीवन में कितने घुल जायेंगे
पास आओ रुख बदल कर देखो
- प्रदीप गुप्ता
एक कतरा हूँ मुझे जी कर देखो
तुम मेरा वजूद खोजने आये
आसमां पे जाओ जमीं पे देखो
मेरी चाहत कहाँ ले जायेगी
सफ़र लंबा है कई सदी तक देखो
मेरी साँसों में कुछ अटकता है
इक नज़र तो जरा इधर देखो
इसमें सदियों की चुभन बसती है
मेरे चेहरे की लकीरें पढ़ कर देखो
रंग जीवन में कितने घुल जायेंगे
पास आओ रुख बदल कर देखो
- प्रदीप गुप्ता
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