Ghazal : Ghar Se Nikle
घर से निकले हैं मंजिल पे पहुँच जायेंगे
क्या हुआ जमाना हमारे साथ नहीं
हाँ, मेरे साथ तेरी मोहब्बत का उजाला है
इस लिए मेरे कारवां को कोई रात नहीं
अब इन सन्नाटों का कोई खौफ नहीं
डर तो रहता मेरे आस पास नहीं
जुनुं सीने में सैलाब बन के बह निकला
जंग जीत ही लेंगे फ़िक्र की बात नहीं
बीच रस्ते से लौट आये कितने
जिनको अपने आप पे विश्वास नहीं
-प्रदीप गुप्ता
क्या हुआ जमाना हमारे साथ नहीं
हाँ, मेरे साथ तेरी मोहब्बत का उजाला है
इस लिए मेरे कारवां को कोई रात नहीं
अब इन सन्नाटों का कोई खौफ नहीं
डर तो रहता मेरे आस पास नहीं
जुनुं सीने में सैलाब बन के बह निकला
जंग जीत ही लेंगे फ़िक्र की बात नहीं
बीच रस्ते से लौट आये कितने
जिनको अपने आप पे विश्वास नहीं
-प्रदीप गुप्ता
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