GHAZAL : Band Kamre Se Nikal Kar Dekho
बंद कमरे से निकल के देखो ,
जिंदगी को अपनी नज़र से देखो
एक अलग ही दुनिया छुपी है तुम में
अपने अंदर भी जरा उतर के देखो
कतरा कतरा पिघल जाएगा वजूद
एक दिन भीड़ में ठहर के देखो
क्यों सिमट के बैठे हो तनहा तनहा
किसी की सांसों में बिखर के देखो
क्यों किताबों में गुम रहा करते हो
रेत में फिसलो चांदनी में नहा कर देखो
- प्रदीप गुप्ता
जिंदगी को अपनी नज़र से देखो
एक अलग ही दुनिया छुपी है तुम में
अपने अंदर भी जरा उतर के देखो
कतरा कतरा पिघल जाएगा वजूद
एक दिन भीड़ में ठहर के देखो
क्यों सिमट के बैठे हो तनहा तनहा
किसी की सांसों में बिखर के देखो
क्यों किताबों में गुम रहा करते हो
रेत में फिसलो चांदनी में नहा कर देखो
- प्रदीप गुप्ता
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