Who Am I
मैं
मैं कौन हूँ
कहाँ से आया हूँ
क्यों आया हूँ
और कहाँ जाउंगा
ये सारे सवाल
मन को उदेवलित करते हैं
बड़े बड़े ज्ञानी , संत, ऋषि और महर्षी
उत्तर खोजने में लगे हुए हैं.
में आज प्रदीप गुप्ता हूँ
कल शरीर छोड़ने के बाद
प्रदीप गुप्ता नहीं रहूँगा।
एक और पक्ष भी है
नाम के हिसाब से तो मैं हिन्दू हुआ
वैश्य हूँ
अग्रवाल हूँ
कंसल हूँ
पर इस होने और न होने का क्या अर्थ है।
ज़रा बताइये
आखिर वो क्या चीज है जो मुझे हिन्दू बनाती है
या फिर वैश्य, अगरवाल के खांचे में फिट कर देती है.
भय्या मेरी गली का कल्लू, रामदीन यादव
या फिर मेरा दोस्त बेहराम कांट्रेक्टर
उनका रक्त भी मेरे जैसा ही तो है
भूख उन्हें भी सताती है
जोक पर वो भी ठहाके लगाके हँसते हैं
भावुक होते हैं तो उनकी आँख से भी
आंसू गिरते हैं तो मैं फिर उनसे अलग क्यों हूँ
अपनी पहचान के लिए सदियों से मारामारी क्यों जारी है
मुझे तो लगता है कि मैं प्रकृती और परमात्मा का सूक्ष्मतम अंश हूँ
मेरे इर्द गिर्द जो कुछ भी चल रहा है
जो कुछ भी घट चुका है या फिर घटेगा
यह सब मेरे अंतर्मन ही प्रतिबिम्ब है
सारा परिदृश्य, सारी संवेदनाएं, सुख, दुःख माया है
मेरा सफ़र सूक्ष्म से शुरू हो कर सूक्ष्म तक जाएगा
सृष्टी का हिस्सा था, हूँ
और आगे उसी धारा में मिल जाउंगा
-प्रदीप गुप्ता
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31.12.2013.

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