Crater Lake क्रेटर लेक : दुनिया का एक अजूबा


इस बार के अमरीका प्रवास  में हमारे  कई अमरीकी  मित्रों  ने सलाह दी थी कि क्रेटर लेक जरुर देख कर जाएँ , समझ नहीं आ रहा था कि आखिर एक झील के बारे में इतना इसरार क्यों .  हम तो ख़ास नैनीताल के करीब के हैं जिसके आसपास एक नहीं कई खूबसूरत झीलें हैं. फिर सोचा जब इतनी तारीफ़ की जा रही है तो  चलो चल कर देख ही लें. हमारा सफ़र सिएटल से कार से शुरू हुआ. कुल मिला कर 1100 किमी का रास्ता था, जंगल, नदियाँ, झीलें, जल प्रपात,  पैसिफिक सागर और पहाडी रास्ता  पार करते करते जब क्रेटर लेक पहुंचे तो लगा जैसे किसी अलग ही दुनिया में पहुँच गए हों . 16 किमी लम्बी और 8 किमी चौड़ी  यह झील अपने आप में कई अजूबे समेटे हुए है . इसकी गहराई 595 मीटर है . इस का रंग आकाश से भी पारदर्शी नीला है . इसका उद्भव  आज से कोई 7700 वर्ष  हुआ था जब  मजामा  पर्वत के भीतर से ज्वालामुखी फटा.  लावा बह जाने के बाद   रिक्त हुआ  स्थान  आस पास के बर्फीले पहाड़ों से  हर ग्रीष्म रितु में धीरे धीरे एक दम शुद्ध जल जमा होते होते झील के रूप में बदल गया. इस लेक की एक और विशेषता यह है कि इस से कोई नदी या फिर झरना नहीं निकला है पर जल का स्तर हमेशा एक सा ही बना रहता है.  












क्रेटर लेक नॅशनल पार्क  से सबसे करीबी  शहर मेडफोर्ड है जो यहाँ से कोई 132 किमी की दूरी पर है. मेडफोर्ड में बाज़ार, अच्छे होटल और एअरपोर्ट सभी कुछ है लेकिन यहाँ से ले कर लेक तक के रास्ते में कोई भी बड़ी आबादी नहीं पड़ती है, हमारा यह पूरा रास्ता घने जंगलों,के बीच से गुजरता गया , बीच बीच में कितने ही खूबसूरत झरने और नदी आते रहे, धवल तेज धरा वाली  इस नदी रोग रिवर को तो देख कर ऐसा लगा कि यहीं रुक जाएँ, हर साल हजारों व्हाईट वाटर राफ्टिंग करने बाले लोग यहाँ आते हैं .  इक्का दुक्का बहुत छोटे गाँव पड़े,  जो 1950-55 की हालीवुड की काऊ बॉय फिल्मों के सेट की तरह लगे . मेडफोर्ड से कार से लेक की ओर सफ़र करते समय यह ख्याल करना जरुरी है कि कम से कम 320  किमी  यात्रा तय कर सकने लायक गैस जरुर भरवा ली जाय क्योंकि बापसी तक गैस स्टेशन मिलने वाला नहीं है .


क्रेटर लेक नेशनल पार्क  1920 में क्रेटर लेक के  आस पास के  400 वर्ग किमी  क्षेत्र  को शामिल करके बनाया गया था, इसका मकसद लेक की बेपनाह खूबसूरती से दुनिया को परिचित कराना था , लेक को विभिन्न कोण और विभिन्न ऊंचाई से लोग देखें इसके लिए लेक के चारों ओर घुमावदार  सड़क का निर्माण किया गया , इसे रिम एरिया कहते हैं, सड़क 2000 मीटर से 2250 मीटर की ऊंचाई से गुजरती है, साल के ज्यादातर भाग में सड़क का काफी भाग बर्फ से ढका रहता है , इस लिए कार से यात्रा करने वालों को टायर के साथ चेन लगाना अनिवार्य है, 15 जून के करीब रिम मार्ग की बर्फ मशीनों की सहायता से साफ़ कर दी जाती है, और जुलाई और अगस्त का मौसम लेक भ्रमण के लिए सबसे सुगम है.

नेशनल पार्क में प्रवेश के उत्तरी और दक्षिणी दो प्रवेश मार्ग हैं, दोनों पर ही पर्यटक सूचना केंद्र है. केंद्र में पर्यटकों की जानकारी के लिए लेक के  नक्शे और अन्य  महत्वपूर्ण सूचनाएं  उपलब्ध हैं , लेक के इतिहास, जन और वन्य जीवन , वनस्पति संपदा के के बारे में वृत चित्र भी हर घंटे के अंतराल पर दिखाया जाता है. केंद्र का स्टाफ बहुत ही सहयोगी है , किसी भी तरह की जानकारी या फिर सूचना  के लिए तैयार रहता है , मौसम का मिजाज इस क्षेत्र में खासा संवेदनशील है इसलिये लेक क्षेत्र में प्रवेश से पूर्व पर्यटक केंद्र में कुछ समय के लिए रुकना उपयोगी रहेगा.  हमने उत्तरी क्षेत्र से प्रवेश किया, यदि शाम का समय है तो लेक क्षेत्र में  इस मार्ग से प्रवेश करना चाहिए क्योंकि सूर्यास्त का वेहतरीन नजारा यहीं से देखने को मिलेगा. हमने भी रिम पर ड्राईव करना शाम को ही शुरू किया था, मार्ग में सबसे पहला पड़ाव  फेंटम शिप पाइंट है .  दरअसल लेक में दो टापू हैं जिनमें से एक फेंटम  शिप है और यह पाइन्ट से यह सचमुच किसी जहाज जैसा नज़र आता है.  लेक का दूसरा  टापू विजार्ड आइलैंड है, शंकु आकार के इस आइलैंड से मजा मा जवालामुखी फटने के काफी बाद तक यहाँ से लावा निकलता रहा था. इस टापू पर भिन्न भिन्न प्रकार की वनस्पति और पुष्प संपदा देखने को मिलती है. लेक का एक और आकर्षण 'ओल्ड मेन आफ द लेक' नाम का एक पेड़ है जो गिरने के १०० वर्षों के बाद भी शान से लेक में लेटा हुआ है, यह लेक के अत्यंत निम्न तापमान के कारण अभी तक पूरी  तरह  से गला नहीं है.  


रिम पर अगला पड़ाव क्लाउड कैप  है जहाँ से सूर्यास्त अपने आप  में एक अलग ही अनुभव है , लेक और आसमान दोनों ही रंग बदलने का जो सिलसिला शुरू करते हैं वह देखने योग्य होता है. चार और  आब्जर्शन  पॉइंट  सिनोट मेमोरियल, डिस्कवरी पाइंट, वाचमेन लुकआउट , मरियम पाइंट उल्लेखनीय हैं इन तक पहुचने के लिए सड़क से थोड़ा ट्रेल चढ़ कर ऊपर जाना पड़ेगा , लेकिन पाइंट तक पहुचने के बाद लगता है की श्रम बेकार नहीं गया. केर नाच रिम ड्राइव  पर 37 किमी चलने के बाद सफ़र का सबसे आख़िरी आब्जर्वेशन पाइंट है यहाँ के बाद सड़क पूर्व में डियुटन रिज की तरफ उतर जाती है , यहाँ से सामने क्लामथ नदी का विशाल बेसिन दिखाई देता है . 

अमरीका में यूरोपीय आगमन से पूर्व इस इलाके के मूल आदिवासी क्लामथ कबीले के लोगों  को लेक के बारे में सटीक जानकारी थी, वे लोग इसे  और इसके जल को  अत्यंत पवित्र मान कर पूजा  करते रहे हैं . लगता है कि इस कबीले के आदि पूर्वजों ने मजामा पर्वत के जवालामुखी के फटने की घटना को देखा होगा तभी वहां की लोक कथाओं और  धार्मिक पुस्तकों में इस पूरी  घटना का विस्तार से उल्लेख है. 

बैसे तो इस इलाके में काफी भिन्न भिन्न किस्म की बनस्पति और वृक्ष  हैं लेकिन सफ़ेद छाल के पाइन वृक्ष इस लेक के आस पास ही पाए जाते हैं .  



     




  

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