New national anthem

कुछ आदमियत की भी कभी  बात करें हम 
अपने से   भी चन्द         सवालात  करें हम


हमने सुना था धरम सिखाता है सहनशीलता 
ये भी सुना  था संस्कृति का काम विनयशीलता 


किस धरम किस संस्कृति की हम बात कर रहे 
जब इनका  नाम ले के  घर बार जल रहे  


गर यही सिखाता है आपका धरम  आपको 
तो बेहतर है मुझ जैसा  बुतशिकन आज तो


हम थे कहाँ और आज कहाँ आ गए हैं हम 
बिगड़े हुए हालात के लिए  जिम्मेवार हैं हम 


मुझको नहीं पसंद   कोई   पूछे जात मेरी 
मुझे  तो काम देना  काबलियत पे  मेरी


ऐसा निजाम चाहिए जो दो रोटी दे सके 
ऐसा समाज चाहिए  जहाँ बेखौफ  रह सकें 


अब वक्त आ गया है जरा जाग जाएँ हम 
ऐसा नहीं हुआ तो फिर मिट जायेंगे हम 


कुछ लोग मुंह  से उगलते हैं आजकल 
नफरत की फसल रोज काटते हैं आजकल 


इस हालात के लिए हम ही जिम्मेवार हैं
 चुपचाप जुल्म सहने के लिए जिम्मेवार हैं 


नफरत को मिटा सके ऐसा  नेतृत्व चाहिए 
जो सब को साथ ले के चले वो देश चाहिए 


आदमी को आदमी से अब लड़ने नहीं देंगे हम 
अन्याय और जुल्म को अब रहने  नहीं देंगे हम    


                 प्रदीप गुप्ता @

Comments

Popular posts from this blog

Is Kedli Mother of Idli : Tried To Find Out Answer In Indonesia

A Peep Into Life Of A Stand-up Comedian - Punit Pania

Searching Roots of Sir Elton John In Pinner ,London