HAPPY BIRTHDAY MAA

मेरी माँ और मुझ में लगभग 1600 कि मी की दूरी है. लेकिन भावनात्मक दूरी नहीं है . मैं सप्ताह में कम से कम एक बार अपनी मां से फोन पर लम्बी बात करता हूँ. उनके स्वास्थ का हाल लेता हूँ. कुछ अपने बारे में उन्हें बताता हूँ कुछ उनके दिल की सुनता हूँ. आज उनसे फोन पर बात करके बहुत बड़ी आत्मिक संतुष्टि हुई. माँ  बोली बेटा तेरी शुभकामनाएं चाहियें, आज तेरी माँ का  जन्मदिन है. दिल भर आया. आज हम इतने आत्म केन्द्रित  हो गए है  कि अपने अलावा किसी के बारे में कुछ भी याद नहीं रहता .


 मेरी माँ ने जीवन के पूरे 78 वसंत देख लिए भरा पूरा परिवार है, वो दिन में कम से कम दो बार पूजा करती हैं और भगवान् से केवल अपने कुटुंब की सलामती की दुआ करती रहती हैं. आज तक अपने लिए कुछ भी नहीं माँगा है.


मेरे पिता की मृत्यु  को 24 साल होने को आये हैं, मेरी माँ ने मेरे पिता के गुजरने के बाद पूरी तरह परिवार के छोटे बच्चों  में अपने आप को इतना डुबो दिया कि उसके  जीवन का  एकाकीपन एक क्षण के लिए भी हावी नहीं हो पाया  है. ऐसा भी नहीं कि वे पिता को याद नहीं करती हैं, उसे वे पिता  की याद को नितांत व्यक्तिगत रखती हैं. पिता की पारिवारिक पेंशन को वह बच्चों के ऊपर ही खर्च कर देती हैं उनकी अपनी जरूरतें  इतनी सीमित हैं कि हैरानी होती है. दिन में कुल मिला कर तीन रोटी खाती हैं सब्जी भी बहुत जरा सी रहती है. पहनने ओढने का शौक बस नाम मात्र का ही है. स्वास्थ सामान्यत: ठीक ही रहता है, यदि उन्हें स्वास्थ में कुछ गड़बड़ लगता है तो वे कोशिश करती हैं कि  दवाई न खाएं खान पान में थोड़ा परिवर्तन कर लें, दवाई खानी   ही पड़े तो होम्योपैथी की ही खाएं . आँखों से कम दीखता है फिर भी अपना सारा काम खुद करती हैं , घर मैं दो फ्लोर हैं सुबह से लेकर शाम तक ऊपर नीचे के काफी चक्कर लगा लेती हैं, शायद यही उनके स्वास्थ का राज भी है.


हम यदि उनके लिए कुछ करने की कोशिश भी करतें हैं तो बहुत ही विनम्रता के साथ मना  कर देती हैं. पिछले दो वर्ष पहले मैंने  उन्हें एक हाई एंड मोबाइल दिया, उन्होंने  बहुत आशीष दिया, कुछ दिनों बड़े गर्व से इस्तेमाल किया और फिर मेरे भतीजे को यह कह कर दे दिया कि उसने परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किये है, यह उसका पारितोषक है . एक बुजुर्ग के रूप में उन्हें लगा कि  उनसे कहीं ज्यादा जरूरत उनके पोते को है, शायद ऐसी कुर्बानी कोई और  नहीं दे पाता. 


आज के दौर में जहाँ हर सम्बन्ध में कोई न कोई स्वार्थ जरूर रहता है, ऐसे में मेरी माँ का निस्स्वार्थ भाव से एक साध्वी के रूप में अपना जीवन बिताना हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है यह अगली पीढ़ी के लिए भी प्रकाश स्तम्भ का कार्य करेगा .

माँ तेरे  आँचल में मैंने  जो भी पल गुजारे हैं 
वह मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी धरोहर है 
मेरी छोटी बड़ी ख़ुशी की खातिर जो भी किया
 वह तो  मेरे लिए  आज भी सहोदर  है 
 तेरी छाया के पल जब तक साथ रहेंगे 
मै  अपने को धन्य धन्य ही पाऊंगा 
    माँ तेरे जन्म दिन पर तुझे बहुत बहुत  बधाई !



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