Ghazal : ये जो लम्हे हैं मेरी जान से प्यारे लम्हे आज तो अपने हैं कल याद ही रह जायेंगे
ये जो लम्हे हैं मेरी जान से प्यारे लम्हे
आज तो अपने हैं कल याद ही रह जायेंगे
ये जो लम्हे हैं हमारे हैं तुम्हारे हैं
रिश्तों की तरह सांसों में सिमट जायेंगे
ये जो लम्हे हैं हंसाते हैं रुलाते हैं
पर ये नाजुक हैं छूते ही दरक जायेंगे
साथ में इनके ज़रा जी कर तो देखो
साथ मचलेंगे नाचेंगे और गायेंगे
इनको आँचल में जरा सहेजे रक्खो
गर फिसल जायेंगे फिर हाथ नहीं आयेंगे
मैने चाहा तितली की तरह छू कर देखूं
पर यह लम्हे हैं मेरे हाथ किधर आयेंगे
आज तो अपने हैं कल याद ही रह जायेंगे
ये जो लम्हे हैं हमारे हैं तुम्हारे हैं
रिश्तों की तरह सांसों में सिमट जायेंगे
ये जो लम्हे हैं हंसाते हैं रुलाते हैं
पर ये नाजुक हैं छूते ही दरक जायेंगे
साथ में इनके ज़रा जी कर तो देखो
साथ मचलेंगे नाचेंगे और गायेंगे
इनको आँचल में जरा सहेजे रक्खो
गर फिसल जायेंगे फिर हाथ नहीं आयेंगे
मैने चाहा तितली की तरह छू कर देखूं
पर यह लम्हे हैं मेरे हाथ किधर आयेंगे
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