ghazal : हवा का रुख है बहुत तेज संभालना यारों

बदलते दौर में खुद को भी बदलना यारों,
हवा का रुख है बहुत तेज संभालना यारों 


गिर गए राह में  इसमें  तो कोई  बात नहीं 
गिरके उठाना उठ के चलना है जिन्दगी यारों 


जोश  इस  तरह  रगों  से फूट  कर निकले 
मंजिल से पहले न थकना न रुकना यारों,


फिजा में नाम खुशबू की तरह महके
काम कुछ ऐसा ही कर के गुजरना यारों 


मंजिलें खुद आ के तुम्हारे  कदम चूमेंगी
साथ में दोस्त कुछ लेके  निकलना यारों  
                                                   @प्रदीप गुप्ता 

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