ghazal : Teri Ankhon Main ...................
तेरी आँखों में शहर के उजाले हैं
मेरे दिल के अंधेरों को समां ले इनमें
रेत के पुल सा थरथराता है मेरा सारा वजूद
फिर भी औरों से अलग बात कहीं है इसमें
जब भी मिलता है बड़े खलूस से मिलता है
कौन जाने क्या राज छुपा है इसमें
यों तो यह शहर भीड़ का समंदर है
फिर भी अपना कोई एहसास नहीं है इसमें
छूट जाते हैं इक दिन सभी रिश्ते नाते
क्यों ना फिर फूल मोहब्बत के खिला लें इसमें
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