Ghazal : Noor Ashfak ka
नूर अशफाक का बिखरा है चेहरे पे तेरे
आज उनवान ग़ज़ल का है चेहरे पे तेरे
बदलियों ने जो ढक लिया है आसमानों को
एक साया सा ग़मों का है चेहरे पे तेरे
हर दफा खींच के कूंचे में तेरे ले आता है
कौन जादू सा समाया है चेहरे पे तेरे
साथ बांटे थे कभी पल छिन हमने
एक एहसास दिखता है चेहरे पे तेरे
क्या अकेले में मुझे सोचती ही रहती हो
अक्स लोगों को मेरे दिखता है चेहरे पे तेरे
गर ना देखूं तो यह तौहीन इ इलाही होगी
बारहा रखता हूँ नज़र चेहरे पे तेरे
आज उनवान ग़ज़ल का है चेहरे पे तेरे
बदलियों ने जो ढक लिया है आसमानों को
एक साया सा ग़मों का है चेहरे पे तेरे
हर दफा खींच के कूंचे में तेरे ले आता है
कौन जादू सा समाया है चेहरे पे तेरे
साथ बांटे थे कभी पल छिन हमने
एक एहसास दिखता है चेहरे पे तेरे
क्या अकेले में मुझे सोचती ही रहती हो
अक्स लोगों को मेरे दिखता है चेहरे पे तेरे
गर ना देखूं तो यह तौहीन इ इलाही होगी
बारहा रखता हूँ नज़र चेहरे पे तेरे
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