Ghazal : Noor Ashfak ka

नूर अशफाक का बिखरा है चेहरे पे तेरे 
आज उनवान ग़ज़ल का है चेहरे पे तेरे 


बदलियों ने जो ढक लिया है आसमानों को 
एक साया सा ग़मों का है चेहरे पे तेरे 


हर दफा खींच के कूंचे में तेरे ले आता है 
कौन जादू सा समाया है चेहरे पे तेरे 


साथ बांटे थे कभी  पल छिन  हमने
एक एहसास दिखता  है  चेहरे पे तेरे 


क्या अकेले में मुझे सोचती ही रहती हो 
अक्स लोगों को मेरे दिखता है चेहरे पे तेरे 


गर ना देखूं तो यह तौहीन इ इलाही होगी 
बारहा रखता हूँ नज़र चेहरे पे तेरे     

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