ghazal : hamare pyaar kaa
हमारे प्यार का कहीं आज फ़साना ना बने
या खुदा मुझ सा कोई और दीवाना न बने
मैंने सोचा है रूह से महसूस किया
वो दबे पांव कहीं दिल का आशना ना बने
मुझको लूटा है मेरी सादगी ने यूं अक्सर
चाह मिलने की है और बहाना न बने
गर चलोगे तो मंजिल तलाश लेगी तुम्हे
बैठे रहने से कहीं कोई जमाना न बने
बाद मरने के भला काम कहाँ आयेंगे
नोट कागज के हैं इनसे खजाना न बने
प्रदीप गुप्ता @
या खुदा मुझ सा कोई और दीवाना न बने
मैंने सोचा है रूह से महसूस किया
वो दबे पांव कहीं दिल का आशना ना बने
मुझको लूटा है मेरी सादगी ने यूं अक्सर
चाह मिलने की है और बहाना न बने
गर चलोगे तो मंजिल तलाश लेगी तुम्हे
बैठे रहने से कहीं कोई जमाना न बने
बाद मरने के भला काम कहाँ आयेंगे
नोट कागज के हैं इनसे खजाना न बने
प्रदीप गुप्ता @
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