जेनेरेशन गैप : कैसे कम हो
आज कल जेनेरेशन गैप के बारे में अक्सर शिकायत सुनने में आती है. लोग कहते हैं कि इसकी वजह से बुजुर्ग और युवा पीढ़ी के बीच टकराव की नौबत आ गयी है या फिर युवा लोग अपने बड़ों का कहना ही नहीं मानते हैं. इस गैप को पाटने के लिए विशेषज्ञ बहुत सारे तरीके बताते हैं. लेकिन जो तरीका मेरे पिता ने तक़रीबन ४० साल पहले अपनाया था वह काफी इनोवेटिव सा था .
यह तब की बात है जब में बीएससी के दूसरे वर्ष में पढ़ रहा था, मेरी मां मेरे नानाजी के यहाँ गयी हुई थीं . घर में बस में, पिताजी और हमारा नौकर ही था . शाम को पिताजी ने मुझे पचास रूपये का नोट दिया और कहा कि दो चिल्ड बीयर ले कर आओ. तब तक मुझे यह भी पता नहीं था कि बीयर क्या होती है कहाँ मिलती है चिल्ड का क्या अर्थ होता है. खैर पिताजी ने मुझे बताया की चिल्ड ठंडी चीज को कहते हैं. बीयर वाइन की दुकान पर मिलती है.
मैं बीयर ले कर आया. बाटल डाइनिंग टेबल पर रखीं . पिताजी ने कहा बाटल खोल कर बीयर ग्लास में डालो, मैंने कार्क खोला, बीयर झाग बन कर सारी की सारी टेबल पर बिखर गयी. पिताजी यह देख कर थोडा मुस्कराए और बड़े प्यार से बाटल को रेक्लाइन करके हलके से गिलास में डाल दिया, क्या मजाल की एक बूँद बीयर बाहर निकली हो. उन्होंने एक गिलास पकड़ा और मेरे हाथ में दूसरा गिलास पकडाया, और बोले चियर्स. मेरी परवरिश दादाजी और दादीजी ने की थी और उनके सनातनधर्मी संस्कारों के बीच पले होने के कारण मैंने उनसे कहा, बाबूजी यह तो शराब है, शराब पीना अधर्म है. उन्होंने बड़े प्यार से समझाया कि शराब किस चीज से और किस तरह बनती है, जौ के फर्मेंटेशन से बीयर और अंगूर के फर्मेंटेशन से वाइन , वाइन के डिस्टिलेशन से शेरी , मोलासिस, गन्ने के रस, चावल आदि के डिस्टिलेशन से रम, व्हिस्की, जिन, वोदका आदि . स्काच और बोर्बान में क्या अंतर है, सिंगल माल्ट कैसे बनती है. किस किस्म की शराब के साथ कौन सा भोजन ठीक रहता है आदि आदि . इसके साथ ही एक हलकी सी नसीहत कि कोई भी चीज ना तो बुरी है ना ही अच्छी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे किस तरह सेवन करते हैं. उन्होंने यह भी बताया की आयुर्वेद में सदियों से जो आसव बनाये जाते हैं उनमें और वाइन में कोई अंतर नहीं है. उस रात का यह पाठ कुछ अलग किस्म का लगा.शायद इस पूरे संवाद ने हम दोनों के बीच की अद्रश्य दीवार को थोडा सा गिरा दिया.
इस घटना के लगभग दो सप्ताह के बाद कालेज का एक पिकनिक था, वहां लड़के लड़कियों ने तय किया चंदा करके शराब लायेंगे और पियेंगे. मेरा पहली प्रतिक्रिया थी यार कौन सी शराब लाओगे, दोस्तों ने पूछा यह भी कोई सवाल है, शराब तो शराब है. फिर उनके सामने पिताजी द्वारा दिए गए ज्ञान के थोड़े से हिस्से को शेयर किया, वे लोग हैरान रह गए. आखिकार उस ज्ञान के बाद वे भारत में मिलने वाली एकमात्र ब्लेंडेड स्काच पीटर स्काच लेकर आये .
मेरे पिता के अनूठे पाठ के कारण मुझे कभी भी डिंक्स को ले कर टेम्पटेशन नहीं हुआ. आज भी अगर किसी पार्टी में जाता हूँ महज सामाजिक रस्म रिवाज के लिए हाथ में ड्रिंक जरूर लेता हूँ पर शालीनता की सीमा में रह कर.
नयी पीढ़ी को कोसने या फिर बात बात में टोका-टाकी करने की जगह अगर उन्हें चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में देखने के लिए प्रेरित किया जाय तो पीढ़ी का बढ़ता अंतर कम किया जा सकता है लेकिन इसमें ज्यादा भूमिका पुरानी पीढ़ी की ही रहेगी.

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