स्वप्न लोक से सीधे धरती पर उतरती उत्तर भारत की शादियाँ

मैं एक लंबे अरसे से उत्तर भारत से बाहर रह रहा हूँ , साल मैं मुश्किल से दो तीन दफा ही जा पाता हूँ, और ये विजिट भी महज दो या तीन दिन की होती हैं. इसलिए  हाल के वर्षों में वहां पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर जो तेजी से परिवर्तन आये हैं  उनके बारे में मुझे कुछ खास जानकारी नहीं थी . पर पिछले माह  मैंने लगभग पंद्रह दिन उत्तर भारत में लगाये और कई शादियों में शिरकत करने का मौका मिला, उसके आधार पर में पूरे विश्वास से कह सकता हूँ कि अब वहां शादी महज दो जनों का पवित्र गठबंधन  ही नहीं रह गयी हैं वरन इनका आयोजन एक विशाल व्यवसाय के रूप में बदल गया है.
पहली शादी गाजियाबाद में थी. मेरे जिस मित्र के बेटे की शादी थी उस से और उसके परिवार से लगभग बीस साल के बाद मिला , सारा आयोजन इतना भव्य की देखता ही रह गया, रिसेप्शन का विशाल हाल, उसमें  चौंधिया  देने वाली सजावट, बड़ा स्टेज, इवेंट मेनेजर , डीजे सभी कुछ था. हाल के  बाहर खाने पीने की व्यवस्था थी,  विभिन्न किस्म की चाट के ही करीब तीस स्टाल थे, मुख्य भोजन में भी कई सेक्शन थे, थाई, मेक्सिकन , यूरोपियन, दक्षिण भारतीय, पाव  भाजी,राजस्थानी और हाँ, उत्तर भारतीय खाना भी. ठण्ड के मारे बुरा हाल, पर लोग इस दौड़ में थे कि कुछ छूट न जाये.
जय-माल के समय  वधु पक्ष का कोई बंदा  जिक्र कर  रहा था कि वधु की ड्रेस चार लाख में बनी है. और फिर केवल वधु की ही बात क्यों  करें, बाकी मेहमानों की  झकपक ड्रेस से पूरा  हाल जगमगा रहा था.  मुंबई में रहने वाले व्यक्ति  को अपनी आँखों पर यकीन  करना  मुश्किल था क्योंकि मुंबई में ऐसे भव्य किस्म के आयोजन करोडपति या फिर अरबपति लोगों के यहाँ ही संभव हो पाते हैं . लेकिन उतर भारत में ऐसे  आयोजन मध्यम वर्ग में होना मामूली बात हो गयी है.  इस सब से बुटिक डिजाइनर, वेडिंग प्लानर , इवेंट मेनेजर, डी जे , फ्लोरिस्ट, वेडिंग हाल जैसे नए नए व्यवसाय उभर कर आये हैं. संपन्न परिवारों में शादी की विभिन्न रस्में लगभग एक सप्ताह तक चलती हैं , इवेंट मेनेजर एक माह पूर्व  से  वर पक्ष हो या वधु पक्ष डांस व अन्य रस्मों का रिहर्सल करना शुरू कर देता है!  एक मोटे अनुमान के हिसाब से शादी व्यवसाय प्रति  वर्ष १४००० करोड़  रुपए  हो गया है और तेजी से बढ़ता ही जा रहा है. यही नहीं उच्च मध्यम वर्ग में अब अपने या फिर वधु के नगर में शादी करना ओल्ड फैशन होता जा रहा है, देश विदेश की एक्सोटिक डेस्टिनेशन उभर कर आ रही हैं, वेडिंग प्लानर को अपना बजट बता दीजिये, छोटे बजट में पटाया, लंकावी, जेंटिंग हाईलेंड, बड़े बजट में  कनाडा, स्विट्जरलेंड, आस्ट्रेलिया की खूबसूरत  जगह हाज़िर हैं. आपको अपने साथ  अपना सूटकेस लेकर रवाना होना है, पंडित, नाई से लेकर परंपरागत शादी का सारा सामान डेस्टिनेशन पर प्लानर उपलब्ध करा देगा.
दूसरी शादी मेरे अपने ही करीबी रिश्तेदारी में थी,  वेशक वहां बजट ऊंचा नहीं था पर फिर भी सीमा में रह कर पूरी भव्यता मौजूद थी. शादी से पहले दिन वर पक्ष में काकटेल पार्टी, मेंहदी, डांस, घुडचड़ी, भात, शानदार रिसेप्शन सभी कुछ था. पूरे हिंदुस्तान भर में लोग जीने के लिए खाते हैं वहीं उत्तर भारत में लोग खाने के लिए जीते हैं, शादी का रिसेप्शन तो इसका वेहतरीन उदाहरण है, वहां जा कर लोगों को खाते हुए देख कर ऐसा  लगता है जैसे कल से खाना नहीं मिलेगा. भगवान जाने लोग पचास पचपन  स्टालों  पर परोसा जाने वाला खाना कैसे पचाते हैं और फिर अगले दिन से फिर किसी विवाह  निमंत्रण के लिए तैयार हो जाते हैं !
पिछले दिनों मेरे एक दिल्ली में परिचित के बेटे की शादी थी, फोन आया कि रिसेप्शन के दिन उन्हें टी वी सीरियल के कुछ जाने पहचाने  चेहरे चाहिए  थे, मुझे लगा कि शायद उन्हें नाच गाने के लिए चाहिए होंगे, कहने लगे उनके रहने की फाइव स्टार होटल में व्यवस्था  होगी, आने जाने का हवाई जहाज का किराया और साथ में कोई दस लाख फीस.
बस उन्हें रिसेप्शन में गेस्ट की भीड़ में शामिल होना है . आखिर बेटे की शादी है आमंत्रित लोगों को लगना चाहिए कि
हमारे भी अच्छे सम्बन्ध हैं. इसे कहते हैं शादी मैं  शान दिखने का उत्तर भारतीय तरीका!
आज मेरे यार की शादी है !
            

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