जनवरी 2012 : विदेशी सफ़र का आखिरी पड़ाव

कोलम्बो : आतंक के अतीत से निकल कर विकास की चाह

कोलम्बो :  विहंगम दृश्य 

चैन और शांति के लिए 

पूर्व और पश्चिम का घाल मेल 


वर्ल्ड ट्रेड ट्विन टावर


सुकून यहीं है !

कोलम्बो का बदलता चेहरा 
मैं अब से चार साल पहले कोलम्बो आया था, बंदारनायके एअरपोर्ट से शहर  की और जाते हुए उस समय सड़कों पर  जो खौफ का एहसास  हुआ था, इस बार जरा भी नहीं हुआ. आतंक के दंश   ने कोलम्बो को विकास की दौड़ में पीछे धकेल दिया था आज वहां पर उस से निकलने की झटपटाहट सी महसूस हुई.

कोलम्बो जा कर पहले तो यह एहसास ही नहीं होता ki आप किसी दुसरे मुल्क में हों. यहाँ तो ज्यादा से ज्यादा तमिलनाडु या फिर केरल के किसी शहर जैसा  लगता है.भोगोलिक  दृष्टी से कल का सीलोन आज का श्रीलंका पशिम से पूर्व के तिजारती रास्ते में महत्पूर्ण पड़ाव हुआ करता था ,   यहाँ की भी कहानी भारत के किसी कोस्टल इलाके जैसी ही है. पहले तिजारत के लिए १५५० के आस पास पुर्तगीज आये तिजारत करते करते राज करने लगे, फिर डच आये उनोह्ने पुर्तगीज  को हरा दिया, मालिक बन बैठे, डच से लड़ाई जीत कर  ब्रिटिश काबिज हो गए, सीलोन ब्रिटिश  साम्राज्य का हिस्सा बन गया, मसालों, चाय, काफी, लकड़ी, अन्य प्रकृतिक संपदा का दोहन किया गया, जब आर्थिक स्थिती कमजोर पडी सत्ता सौंप के ब्रिटिश  निकल लिए.लेकिन आगे के लिए सिंघलीज और तमिल समुदायों के बीच वैमनस्य  का बीज बो गए, जिसका खामियाजा पूरे मुल्क को अभी तक भुगतना पड़ा है .  वर्ना क्या कारण है सेल्फ रुल के लिए विदेशी शासन के दौरान इन में से किसी भी समुदाय ने खून खराबा नहीं किया. सम्राट अशोक ने बौद्ध  धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अपने राज्य से दल भेजे थे. आज के श्रीलंकन सिंघलीज उसी रक्त वंश के हैं, भारत के दक्षिणी तट से तिजारत के लिए जो तमिल लोग सैकड़ों वर्षों पूर्व  गए थे वे  आज के श्रीलंकन तमिल हैं. एलटीटीइ केवल तमिल दमन का नहीं वरन और भी कई वेस्टेड हितों का नतीजा था. आज कोलोम्बो में जबर्दत ट्रेफिक अव्यवस्था है, आतंकवाद से लड़ते लड़ते विकास का मुद्दा बहुत पीछे चला गया था, अब कहीं जा कर मेट्रो रेल पर काम शुरू हुआ है. जब तक मेट्रो नहीं आती ट्रेफिक जाम लगते ही रहेंगे.

कोलम्बो का सबसे अच्छा इलाका फोर्ट है , देखा जय तो यह देश की व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र है, केमिकल, टेक्सटाइल , सीमेंट, लेदर, फर्नीचर , आभूषण की महतवपूर्ण कम्पनियों के कार्पोरेट आफिस यहीं हैं. शहर के बीचों  बीच  १६० एकड़  क्षेत्र मैं बेरिया झील है, यह सांस्कृतिक और स्पोर्ट्स गतिविधिओं का केंद्र है. रिगेटाज , थियेटर  कुछ न कुछ हमेशा चलता रहता है.  फोर्ट में कई हेरिटेज भवन हैं जो पुर्तगीज, डच और ब्रिटिश स्थापत्य का बेहतरीन नमूना हैं. पेटाह कोलम्बो  का वो इलाका है जहाँ छोटे छोटे स्टाल पर शरबत से ले कर रेडीमेड कपडे सभी कुछ मिलता है , ये सार व्यापारी मुस्लिम हैं. यहीं से समुद्र तट की ओर जाने बाली सड़क पर सोने जवाहरात  की दुकाने हैं ये सारे व्यवसायी तमिल हैं.

जब कोलाबो की बात चली है तो रेडिओ सीलोन का जिक्र जरुरी है. एक वो दौर था जब भारत में आल इंडिया रेडिओ से कहीं ज्यादा रेडिओ सीलोन सुना जाता था. यह दक्षिण एशिया का सबसे पुराना और दुनिया का दूसरा सबसे पुराना  रेडिओ स्टेशन है.

१९८० तक कोलम्बो श्री लंका की राजधानी थी , जगह कम पड़ने के कारण निकट ही जयवर्धनपुरा में राजधानी शिफ्ट हो गयी उसके वावजूद राष्ट्रपति आवास, प्रधानमंत्री आवास , सारे डिप्लोमैटिक  मिशन अभी भी फोर्ट इलाके में ही हैं और कोलम्बो का बतौर व्यवसायिक राजधानी दबदबा बरक़रार है.

आतंक का दौर अब समाप्त हो चुका है, इस  देश को ऐसे मजबूत नेतृत्व की जरूरत है जो सिंघलीज और तमिल दोनों समुदायों को एक साथ ले कर चले, भेदभाव का सिलसिला बंद हो , विकास के लिए इच्छा शक्ति  हो, कोई कारण नहीं जब बिना किसी प्रकृतिक संपदा बाले हांगकांग और मकाउ इलाके तरक्की के शिखर पर पहुच सकते हैं तो क्यों न प्रकृतिक साधनों से संपन्न , यह रम्य इलाका उनको टक्कर देने के लिए तेजी से आगे बढे.    

        

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