गंडोला सवारी
१२ जनवरी को हमें मकाऊ की यात्रा की शुरुआत करनी थी. हांग कांग में हम होटल शैमराक में रुके हुए थे वहां से कवालून फैरी - वार्फ तक का कार से रास्ता महज पांच मिनट का है, यहीं से हमें फैरी द्वारा मकाऊ तक का रास्ता तय करना था. फैरी - वार्फ के अन्दर पहुँच कर यकीन ही नहीं हुआ कि यह वार्फ है ऐसा लगा जैसे हम किसी सेवेन स्टार एअरपोर्ट पर पहुँच गए हों. लिफ्ट दर लिफ्ट, कहीं चलना ही नहीं, इमिग्रेशन की औपचारिकता में भी बहुत कम समय लगा, सब कुछ इतना व्यवस्थित कि बस देखते रह जाएँ. कवालून से मकाऊ का फैरी का सफ़र ५०-६० मिनट का है, दस मिनट तो कवालून और हांग कांग की स्काई लाइन देखते हुए कट गए, बाद में चाय, काफी, बियर की चुस्किओं में रास्ता कट गया. मकाऊ की स्काई लाइन भी हांग कांग जैसी ही है बस इमारतों की ऊंचाई जरा कम है , सिटी लाइन का विस्तार भी हांग कांग से छोटा है.
फैरी से उतरने के बाद हमारी मुलाकात स्थानीय गाइड सोनिया से हुई. सोनिया वैसे तो चीनी मूल की है लेकिन अपने आप को मेकेनीज कहलाना पसंद करती है. मकाउ में ११० वर्षों के पुर्तगीज शासन के दौरान चीनी और पुर्तगीज संस्कृतियों मेलमिलाप से बने समाज को यहाँ के लोग मेकेनीज कहते हैं और इसे गर्व की बात समझते हैं. सोनिया मकाऊ के अतीत के बारे में बताती है. मकाऊ पर्ल नदी के डेल्टा के पश्चिमी किनारे से जो वर्तमान चीन के गुनान्ग्दाग प्रान्त के उत्तर में ठीक दक्षिणी चीन सागर के सामने अवस्थित टापू है, जो पहले कभी मछुआरों की बस्ती हुआ करता था , जब पुर्तगाली सन १५३५ में चीन के साथ व्यापार के लिए आये थे तो यही उतरे. उनके व्यापार का सिलसिला चलता रहा, १६०२ में उन्होंने सेंट पाल केथेड्रल बनाया, १८३५ में इस में भीषण आग लगी. केथेड्रल का लकड़ी से बना भाग पूरी तरह से जल गया , बचा तो बस पत्थर से बना प्रवेश द्वार जो आज भी इसके अतीत की याद दिलाता है. १८८७ में मकाऊ पुर्तगीज साम्राज्य का अंग बन गया. जब लिस्बन में तानाशाही का अंत हुआ तो नई पुर्तगीज सरकार ने अपनी कालोनियों से आधिपत्य छोड़ना शुरू कार दिया, दिसंबर १९९९ में पुर्तगालियों ने मकाऊ चीन को सौंप दिया. लेकिन चीन की सरकार ने वहां इसे स्वायत्तशासी क्षेत्र रखने का फैसला किया, रक्षा और विदेशी मामलों को छोड़ कर बाकी सभी में इसे उच्च क्षेणी की आजादी है, मीडिया, क़ानून, पुलिसे, करेंसी, आप्रवाजन, कस्टम सभी कुछ अलग है . कुल आबादी ५.५ लाख है. यहाँ पर आबादी १८,४२८ व्यक्ति प्रति वर्ग कि मी है , इस हिसाब से यह दुनिया का सबसे घना इलाका है. पुर्तगीज बहुत कम बचे हैं कुल आबादी का महज २ प्रतिशत हैं बाकी में 94 प्रतिशत चीनी और शेष अन्य मूल के हैं. राजकीय काम काज की भाषा भी पुर्तगीज और चीनी दोनों ही हैं, मुख्य आय स्रोत होने की वजह से अंग्रेजी भी खूब समझी और बोली जाती है. बाजार में घुमते हुए हमने पाया कि दुकानदार हमें हिन्दुस्तानी समझ कर हिंदी में बोल कर जबरदस्त इम्प्रेस करने में लग गए.
२९ वर्ग कि मी के इस टापू का नाम मकाऊ पड़ने के पीछे रोचक कहानी है, इस इलाके में मछुआरों और नाविकों की देवी आ-माँ थी बस इसी से बिगड़ते बिगड़ते मकाऊ हो गया. आज दुनिया भर के सैलानी मकाऊ आते हैं , हमारी गाइड सोनिया हमें बताती है कि पिछले साल यहाँ २.५ करोड़ सैलानी आये थे. आखिर इस छोटे से टापू पर ऐसा क्या है जो लोग यहाँ खिचे चले आते हैं. पहले कभी लास वेगास को दुनिया का सब से वडा जुआ केंद्र माना जाता था लेकिन मकाऊ ने उसे पीछे छोड़ दिया है, आज यहाँ १८ विशाल केसिनो हैं, इन में हर एक की अपनी कुछ अलग विशेषता है. यहाँ का सबसे वडा केसिनो वेनिशियन मकाऊ है जिसमें ३४०० स्लाट मशीन लगी हुए हैं, कोटाई स्ट्रिप में बने इस केसिनो में ७ बड़े होटल हैं, शापिंग के लिए दुनिया के बेहतरीन ब्रांड के एक्सक्लूसिव शो रूम हैं, मनोरंजन के लिए लास वेगास की तर्ज पर बेहतरीन शो भी होते हैं . वेनिस की नहरों जैसी नहरें वेनिशियन के भीतर वनाई गयी हैं जिन में गंडोले की सवारी का आनंद लिया जा सकता है, सच तो यह है कि यहाँ के मनोरंजन का पूरा लुत्फ़ उधने के लिए कई दिन चाहिए. बालिवुड का फिल्म पुरस्कार समारोह आइफा पिछले वर्ष वेनिशियन में ही आयोजित किया गया था. कहते हैं कि वेनेशियन जितना बड़ी भवन संरचना एशिया में कोई और नहीं है. दूसरा वडा केसिनों सिटी आफ ड्रीम्स है, यह जरा वेनिशियन से छोटा है पर केसिनो और अन्य सुविधाओं में वेनिशियन से टक्कर लेता दीखता है. कोई आश्चर्य नहीं कि मकाउ का केसिनो रेवेन्यु लास वेगास से ज्यादा है. मकाउ में नाईट लाइफ भी गज़ब है, लास वेगास तर्ज पर स्ट्रिपटीज शो भी होते हैं, गोल्डन ड्रेगन होटल का क्रेजी हापर शो खासा चर्चित है, इसमें साऊथ अमेरिका और यूरोप की कैबरे बालाएं अपने हुस्न और नृत्य कला का जलवा बिखेरती हैं. केसिनो के अलावा बेटिंग के लिए ग्रे हाउंड रेसिंग का मजा ले सकते हैं, इस में घोड़े नहीं कुत्ते दौड़ते हैं !
जो लोग जुए में रूचि नहीं रखते हैं उनके लिए मनोरंजन और तफरीह के खासे विकल्प हैं. मकाऊ टावर ६४ मंजिल ऊँची है यहाँ से पूरे टापू का विहंगम द्रश्य देखने को मिलता है. टावर से ३६० अंश व्यू लेते लेते चाय काफी , कोल्ड ड्रिंक का अलग ही मजा है. टावर के शिखर से बंजी जम्पिंग भी कराई जाती है. २३३ मीटर की यह दुनिया की सबसे लम्बी बंजी जम्पिंग है. वडा कलेजा रखने वालों की कमी नहीं, कूदने के लिए लम्बी लाइन लगी रहती है. एम जी एम ग्रांड के पास ही प्राचीन विशालकाय वोधित्सव अव्नोकित्सेवरा मूर्ती है, जहाँ श्रद्धालु जुटे रहते हैं. मकाऊ में हेक सा और शेक वान सुन्दर समुद्री तट हैं. तैपा और कोलोने परम्परागत फिशिंग विलेज हैं.
पूरे साल मकाऊ में अंतर-राष्ट्रीय स्तर की सांस्कृतिक, कला और खेल की गतिविधियाँ भी चलती रहती हैं. नवम्बर में यहाँ ग्रांड प्रिक्स आयोजित की जाती है. सितम्बर में अंतर-राष्ट्रीय फायर वर्क्स डिस्प्ले कंटेस्ट होता है. अक्टोबर में इंटरनेशनल म्यूजिक फेस्टिवल रहता है.
आने जाने के साधनों में, यह हांग काग से फैरी द्वारा जुड़ा हुआ है, मुख्य चीनी धरती के लिए भी सुगम बस और फैरी हैं. अब मकाऊ में अपना इंटरनॅशनल एअरपोर्ट भी है जहाँ बेंकाक, क्वालालंपुर, सिंगापूर, बीजिंग आदि से बजट एरलाईन्स की फ्लाईट उतरती हैं.
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