Bodygaurd bollywood movie

दर्शक सलमान खान की फिल्मे इस लिए देखना पसंद करते हैं कि उनमे फुल्टू मनोरंजन रहता है. लेकिन लगता है कि अब सलमान अपने प्रशंसकों के धेर्ये की परीक्षा लेने में तुल गए हैं . उनकी यह पिक्चर हिट तो हो गयी क्योंकि ईद पर कोई बड़ी फिल्म नहीं थी और सलमान फैन अपने पसंदीदा सितारे को देखना चाहते थे पर यह फिल्म वावजूद अच्छे स्टंट के वेहद पकाऊ किस्म की है , अब जब कि यह फिल्म हिट हो गयी है इसका नीर छीर विवेचन करना जरुरी है. कहानी प्रेम सूरत और रुतबा देखकर नहीं होता। वो तो बस होता है और जब होता है तो फिर कुछ नहीं सोचता।पर क्या किसी को बिना देखे भी ऐसा प्यार किया जा सकता है जो न केवल प्यार करने वाले की बल्कि उसकी भी जिन्दगी बदल दे जिसे प्यार किया जा रहा है। निर्देशक सिद्दकी की सलमान , करीना कपूर और हेजल कीच की मुख्य भूमिकाओं वाली फिल्म बॉडीगार्ड दरअसल फिल्म निर्देशक की ही लिखी और निर्देशित मलयालम और तेलगु फिल्म की रीमेक है। फिल्म में राज बब्बर ,शरत सक्सेना,आदित्य पंचोली, विद्या सिन्हा, महेश मांजरेकर,चेतन हंसराज,मोहन कपूर और रजत रवैल की भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं। फिल्म की कहानी लवली सिंह(सलमान) नाम के एक बॉडीगार्ड के इर्द-गिर्द घूमती है। उसकी ईमानदारी और बहादुरी का उसकी कम्पनी में कोई सानी नहीं है।पर जब उसे जयसिंह गढ़ के सरताज राणा(राज बब्बर) की बेटी दिव्या (करीना) की सुरक्षा के लिए नियुक्त कर दिया जाता है तो उसकी जिन्दगी भी बदल जाती है।दिव्या को उसका हर जगह उसका साथ रहना पसंद नहीं। वह उसका ध्यान भटकाने के लिए एक प्राइवेट नंबर का इस्तेमाल कर उसे चाहने वाली लड़की का छाया बनकर उससे प्रेम करने का नाटक करती है। लवली को भी फ़ोन पर बात करने वाली छाया से प्यार हो जाता है। नाटक करते करते जब दिव्या भी उस से प्यार करने लगती है तो सबकुछ बदल जाता है। पर इस बदलाव में सिर्फ प्यार ही नहीं है बल्कि एक तरफ सरताज राणा के दुश्मनों महात्रे बंधुओं [महेश मांजरेकर,आदित्य पंचोली और चेतन हंसराज] का वो जाल भी है जिसमे उसके लिए मौत हाथ फैलाये बैठी है। तो दूसरी तरफ सरताज समझ रहा है कि लवली ने उसकी बेटी को अपने जाल में फंसा लिया है।वह खुद को छल-कपट और झूठ से बुने गए जाल में उलझा हुआ पाता है। नाच गाना
फिल्म में शब्बीर अहमद और निलेश मिश्र के लिखे गीत हैं और संगीत हिमेश रेशमिया का है। सलमान की इस फिल्म से संगीत में वापसी करने वाले हिमेश के साथ ही फिल्म में एक गीत प्रीतम ने भी संयोजित किया है। यह अलग बात है कि आई लव यू जैसे बोलों वाला ये गीत कुछ ख़ास जादू नहीं जगाता बाकी के गीत भी कामिक किस्म से फिट किये हुए लगते हैं. एक ही अपवाद शब्बीर अहमद का लिखा और राहत फतेह अली खान के साथ श्रेया घोषाल का गाया 'तेरी मेरी प्रेम कहानी' गीत है । अभिनय फिल्म के केंद्र में सलमान हैं और उनकी भूमिका का आधार बनी हैं करीना। हिंदी सिनेमा में इस समय सलमान एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं जो किसी भी तरह की भूमिका को बहुत आसानी और सहजता से कर लेते हैं। वे फिल्म में मध्यांतर तक बहुत शांत दिखे हैं और उसके बाद उनके पात्र की शारीरिक भाषा और चपलता का उन्होंने जबरदस्त इस्तेमाल किया है।फिल्म में सलमान मासूम दिखे हैं तो क्लाइमेक्स में खतरनाक भी। करीना के साथ उनका लवली सिंह का पात्र संतुलन बनाए रहता है। इस फिल्म में करीना का ओरिजनल अभिनय कहीं नहीं दिखा कम ताजगी के कारण उनके चरित्र की संवेदनशीलता और चुनौती बनी रही । हेज़ल कीच के लिए करने को कुछ खास नहीं था बस मध्यांतर के बाद जब वे अंत में करीना की जगह खुद छाया बनकर सलमान से मिलती हैं तो उनका ग्रे शेड भी उभरता है । राज बब्बर के लिए करने को कुछ नहीं था. नेगेटिव भूमिकाओं में आदित्य पंचोली, महेश मांजरेकर और चेतन हंसराज प्रभावित करते हैं। रजत रवैल ठीक हैं पर कई दृश्यों में वे उबाऊ हो जाते हैं।विद्या सिन्हा और असरानी को व्यर्थ कर दिया गया।जबकि छोटी सी भूमिका में शर्त सक्सेना जमे हैं। निर्देशन सिद्दीकी मूलतः तमिल तेलगु और मलयाली सिनेमा के फिल्मकार हैं, हिंदी फिल्म का उनका यह पहला इंटरफेस है. मध्यांतर तक फिल्म की गति वेहद धीमी है कहीं कहीं तो उब सी होने लगती है. फिल्म में सिहराने वाले एक्शन दृश्य हैं तो प्लास्टिक भावुकता का समावेश भी। फिल्म में फ्लैश बैक में कहानी को बुना गया है दरअसल यह फिल्म कुल मिला कर आखिर के दस मिनट की है.

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