याहू : पार्थिव शरीर में नहीं तो क्या हुआ दिलों में तो रहोगे
शम्मी कपूर एक ऐसी फ़िल्मी शख्सियत के मालिक थे जो जिन्दादिली और मस्ती का दूसरा नाम कहा जा सकता है. बचपन में उनकी क्लास गोल करके सारी फ़िल्में देखीं ; 'तुम सा नहीं देखा' , 'दिल दे के देखो', 'कश्मीर की कली', 'जंगली', 'प्रोफ़ेसर', 'तीसरी मंजिल', 'ब्रह्मचारी', 'एन इवनिंग इन पेरिस' की याद जेहन में आज भी तरोताजा है. शमशेर राज कपूर जिन्हें दुनिया शम्मी कपूर के नाम से जानती है मशहूर थियेटर और फ़िल्मी कलाकार पृथ्वी राज कपूर के तीन बेटों में से एक थे. इनमें बड़े राज कपूर थे और सबसे छोटे शशि कपूर. राज और उनके समवर्ती दिलीप कुमार की सन 50, 60 के दशक में तूती बोलती थी. इन दो बड़े एक्टरों के बीच अपनी पहचान बनाना बड़ी चुनौती थी, शम्मी ने एक ऐसे नौजवान के रूप में पोजीशन किया जो जीवन को अलग से मस्ती भरे अंदाज में जीता है जिसे न कोई कालोनियल हेन्गोवर है ना ही ट्रेजिडी
किंग बनने की कोई इच्छा . वो तो 'चाहे मुझे कोई जंगली कहे , याहू ' गाने के माध्यम से अलमस्त फिलोसफी व्यक्त करता है. कोई हैरानी नहीं कि आज भी उनके गाने 'आजा आजा मैं हूँ प्यार तेरा' 'आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जबान पर' की धुन पर डिस्कोथिक मैं नौजवान पीढी झूमती नजर आती है.शम्मी ने चक बेरी, एल्विस प्रिस्ले यहाँ तक कि बीटल्स जैसे डांस कल्ट के नामवर लोगों को पीछे छोड़ दिया था. और पता नहीं इस बात में कहाँ तक सचाई है कि yahoo के सह - संस्थापक जेरी यंग को अपनी कम्पनी का नाम याहू रखने के पीछे शम्मी के अलमस्त अंदाज की प्रेरणा थी.
काफी बाद में जब मैं शम्मी साहेब के संपर्क में आया तो पता चला कि वे एक उम्दा एक्टर होने के साथ ही एक बेहतरीन इन्सान भी थे, रिश्तों को निभाते भी थे,
अपनी पीढी के दूसरे साथियों की तुलना में कहीं ज्यादा टेक सेवी थे, दुनिया भर की फिल्मों की डीवीडी उनके निजी कलेक्शन में हुआ करती थीं, नेट पर भी खासे सक्रिय थे.
चलते चलते एक खास बात और, शम्मी ने ज्यादातर मामलों में अपने डांस निदेशकों के स्टेप को फालो नहीं किया वरन डांस को अपने ही अंदाज में पेश किया.
हमारी इस पांचवे और छठे दशक के एंग्री यंग मैन को भाव भीनी श्रधांजलि.
Comments
Post a Comment