ghazal : आदमी




इस सफ़र में थक गया जो आदमी
मुझ को तो तन्हा लगे वो आदमी

एक सच भूला लगे है बार बार
आदमी से आदमी तक राब्ता है आदमी

कितनी कोशिश चल रही हैं तरक्की के लिए
पर खास मुद्दों से लापता है आदमी

किस अजानी सी डगर पर गुम गया है
सिर्फ मंजिल ही नहीं है रास्ता भी आदमी

राजा रानी की कहानी ही नहीं है हिस्टरी
एक युग से दूसरे तक जी रहा है आदमी



-PRADEEP GUPTA

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