ghazal
किनारे बैठ के दरिया मजा क्या आये
बीच धारा में जरा कूद के देखा जाये
आज हालत हुए बाद से बदतर
क्यों हुए ऐसे यह सोचा जाये
इनके बस्ते का वजन तोल के देखो यारों
कुछ किताबों को जरा इनसे हटाया जाये
जिन को सौपा था अपनी हिफाजत का जिम्मा
वो अगर गाफिल तो उनको हटाया जय
क्यों बने जा रहे बागी हमारे अपने
इस नजरिये से बगावत को भी देखा जाये
उनकी कोशिश है सच को बनावट से छुपाया जाय
अपनी भी जिद है उन्हें आइना दिखाया जाय
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