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Showing posts from April, 2010

kalidas and vikrmaditya's Ujjain

हाल ही में मुझे कालिदास और विक्रमादित्य की अवंतिका नगरी में मुझे जाने का सुयोग्य प्राप्त हुआ। हजारों साल से यह नगरी सभ्यता, संस्कृति और धर्म की यात्रा की गवाह रही है। कर्क रेखा यहीं से गुजरती है इस लिए इसे समय का वैसा ही केंद्र माना जाता था जैसा इन दिनों ग्रीनविच को मानते हैं। वर्तमान में इसे उज्जैन के नाम से जाना जाता है नगर के अधिष्ठात्री देव देवों के देव महादेव हैं, उनका रूप बड़ा विचित्र है। यहाँ उन्हें काल का स्वामी अर्थात महाकालेश्वर कहा जाता है, जरा सी दूरी पर उनके सेनापति कालभैरव का भी मंदिर है, इन महाशय को अर्चना के रूप में शराब चढ़ाई जाती है कुछ हिस्सा तो पुजारी मूर्ति को पिलाते हैं बाकी प्रसाद रूप में भक्त को दे दी जाती है । भय्या यह जो काल भैरव हैं स्काच से ले कर ठर्रा सभी कुछ चट कर जाते हैं नगर से कुछ ही दूरी पर कृष्ण और सुदामा के गुरु सांदीपनि ऋषि का आश्रम भी है जहाँ इन दोनों ने शिक्षा ग्रहण की थी। उज्जयिनी भारत की सात पुराण प्रसिध्द नगरियों में प्रमुख स्थान रखती है। उज्जयिनी में प्रति बारह वर्षों में सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है। इस अवसर पर देश-विदेश से करोड़ों श्र...