indian animation film ghatotkach creates ripples in the west

एनिमेशन फिल्मों के बाजार मे जो फिल्में आ रही हैं उनमें अब तक की सबसे
बेहतर और नई फिल्म है घटोत्कच। इसकी वजह है कि इसमें एक ऐसे पात्र और
चरित्र की बात की गयी है जिसके बारे में बच्चों ने सुना तो है पर वे उसके
बारे में अधिक नहीं जानते।
कहानी ऐसे शक्तिशाली बच्चे (घटोत्कच) की है जो जंगलों में अपने पिता से
अंजान अपनी माँ (हिडिंबा) के साथ रहता है। लेकिन वह अपनी ताकत और पराक्रम
से अंजान है। घटोत्कच के बाल्यकाल में होने वाले चमत्कारों और अजूबों से
परिचित होने के साथ साथ उसके महाभारत काल में महत्व की अग्रिम सूचनाओं को
दिखाने वाली फिल्म है घटोत्कच। फिल्म में समीर के लिखे गीत हैं और इसके
निर्देशक और संगीतकार श्रीनिवासन राव के संगीत वाले इसके गीत पहले ही
लोकप्रिय हो चुके हैं खासतौर से मैं हूँ घटोत्कच, मैं दुनिया में सबसे
निराला जैसा गीत। हनुमान के बाद जंगलों में विचरते घटोत्कच को जंगली
जानवारों के साथ गाते नाचते देखना बच्चों को खासा प्रभावित कर सकता है।
दरअसल एनिमेशन फिल्मों के बारे में जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह है
उसकी कहानी पात्रों और चरित्रों को वास्तविकता के करीब लाना। लेकिन,
श्रीनिवासन राव इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि उन्होने पहली बार एक
ऐसे अपरिचित और अंजाने चरित्र को रेखाकिंत करने की कोशिश की है जिसके
बारे में बच्चों को कम ही पता है। इस फिल्म की विशेषता यह है कि हाल ही
में इसका प्रीमियर कान में भी हुआ है और अपने सहारा समय के अलावा इंडिया
न्यूज के शो में बात करते हुए भी मैंने इस महत्व पर खास बात भी की है। यह
सात भाषाओं में बनाई गयई है पर यह पहली बार है कि श्रीनिवासन राव की यह
फिल्म अपने मुख्य पात्र को बिना किसी चमत्कार के उसके उसी वास्तविक रूप
में दिखाने की कोशिश करती है जैसा उसका अस्तित्व है। हालांकि इसमें गीत
संगीत और कंप्यूटर जनित छवियों के साथ विशेष प्रभावों का रोचक इस्तेमाल
है पर वे इसे एक काल्पनिक कथा की तरह प्रस्तुत नहीं करते।
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