Hollywood Movie : Golden Compass
FILM REVIEW : THE GOLDEN COMPASS
दुनिया में चमत्कारों और रहस्यों की कमी नहीं। यही नहीं हम कहीं भी रहे दुनिया पर राज करने का हमारा सपना पुराना है। पर हम यह नहीं जानते कि जिस दुनिया पर हम कब्जा जमाना चाहते हैं उस पर कुछ ऐसी अदृश्य और रहस्यमय चीजों का भी कब्जा है जो हमें कभी भी तबाह कर सकती हैं। निर्देशक क्रिस विट्ज की फिलिप पुलमैन की पुस्तक पर आधारित फिल्म द गोल्डन कंपास कुछ कुछ इसी तथ्य को दिखाने वाली है। यह अलग बात है कि नारनिया और द लॉर्ड आफ द रिंग्स के मुकाबले यह कुछ भारी विषय लेकिन प्रस्तुतिकरण के मामले में ज्यादा रोमांचक मानी जा सकती है।
फिल्म की कहानी बारह वर्षीय एक समान्य लड़की लायरा (डकोटा ब्लू) की है जो अपने अंकल लॉर्ड एजरेल (डेनियल के्रग) के संरक्षण में रह रही है। लेकिन वास्तव में उसकी दुनिया हमारी दुनिया से एकदम अलग है। कुछ चमत्कारी ताकतें जानवरों की शक्ल में हमेशा उसके साथ रहती हैं। यह उसकी समझ से बाहर है कि ऐसा क्यों होता है। लेकिन एक दिन जब उसके अंकल पर होने वाले रहस्यमय हमले में उसका सामना एक रहस्यमय मगर खतरनाक औरत मिसेज काउटलर (निकोल किडमैन) से होता है तो उसकी दुनिया की बदल जाती है। दरअसल, काउटलर ने उसे अटांर्टिका के ऐसे अभियान में शामिल किया है जो लायरा के पास पाई जानेवाली एक ऐसी सूक्ष्म कणिका की बदौलत ही पूरा हो सकता है जो न केवल दुनिया को खतरे में डाल सकती है बल्कि काउटलर को भी उस रहस्यमय दुनिया और दैवीयय ताकतों से लैस इंसान बना सकती है जो पूरी मानव जाति ही नहीं बल्कि दैविय ताकतों पर भी कब्जा जमा लेगी। नार्वे की बर्फीली वादियों में फिल्माई गई यह फंतासी फिल्म लायरा के काउटलर की दुनिया से निकल भागने, उसके मंसूबों को असफल करने और दुनिया को एक नए संदेश देने की कहानी है।
देखा जाए तो यह कहानी सुनाने वाले अंदाज में बनाई गई फिल्म है। इसकी वजह है कि जब तक फिल्म अपने और अपने पात्रों के परिचय देती है तब तक हम काफी फिल्म देख चुके होते हैं और काफी देर बाद हम उस दुनिया में पहुँचते हैं जिस पर असल में इसका कथानक नबा गया है। हालांकि फिल्म में निकोल किडमैन इस बार नकारात्मक चरित्र में है, मगर 180 मिनट की इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी भी यह है कि यह बड़ी आसानी से अच्छे चरित्रों को भी रहस्यमय तरीके बुरे पात्रों में बदल देती हैं। इसके बावजूद फिल्म लायरा बनी डकोटा के जरिए हमें एक ऐसी विचित्र, रहस्मई और चमत्कारी दुनिया की सैर कराती है जो कई बार सिहरा देती है। हालांकि जो लोग पहले ही नार्निया या लॉर्ड आफ द रिग्स देख चुकें हैं और जो हैरी पॉटर जैसी श्रृंखलाओं के दीवाने हैं उनहें यह कोई खास रोमांचकारी नहीं लगेगी। लेकिन इसके बावजूद इस फिल्म में कई खासियतें हैं जो इसको उन फिल्मों से अलग करती है।
दुनिया में चमत्कारों और रहस्यों की कमी नहीं। यही नहीं हम कहीं भी रहे दुनिया पर राज करने का हमारा सपना पुराना है। पर हम यह नहीं जानते कि जिस दुनिया पर हम कब्जा जमाना चाहते हैं उस पर कुछ ऐसी अदृश्य और रहस्यमय चीजों का भी कब्जा है जो हमें कभी भी तबाह कर सकती हैं। निर्देशक क्रिस विट्ज की फिलिप पुलमैन की पुस्तक पर आधारित फिल्म द गोल्डन कंपास कुछ कुछ इसी तथ्य को दिखाने वाली है। यह अलग बात है कि नारनिया और द लॉर्ड आफ द रिंग्स के मुकाबले यह कुछ भारी विषय लेकिन प्रस्तुतिकरण के मामले में ज्यादा रोमांचक मानी जा सकती है।
फिल्म की कहानी बारह वर्षीय एक समान्य लड़की लायरा (डकोटा ब्लू) की है जो अपने अंकल लॉर्ड एजरेल (डेनियल के्रग) के संरक्षण में रह रही है। लेकिन वास्तव में उसकी दुनिया हमारी दुनिया से एकदम अलग है। कुछ चमत्कारी ताकतें जानवरों की शक्ल में हमेशा उसके साथ रहती हैं। यह उसकी समझ से बाहर है कि ऐसा क्यों होता है। लेकिन एक दिन जब उसके अंकल पर होने वाले रहस्यमय हमले में उसका सामना एक रहस्यमय मगर खतरनाक औरत मिसेज काउटलर (निकोल किडमैन) से होता है तो उसकी दुनिया की बदल जाती है। दरअसल, काउटलर ने उसे अटांर्टिका के ऐसे अभियान में शामिल किया है जो लायरा के पास पाई जानेवाली एक ऐसी सूक्ष्म कणिका की बदौलत ही पूरा हो सकता है जो न केवल दुनिया को खतरे में डाल सकती है बल्कि काउटलर को भी उस रहस्यमय दुनिया और दैवीयय ताकतों से लैस इंसान बना सकती है जो पूरी मानव जाति ही नहीं बल्कि दैविय ताकतों पर भी कब्जा जमा लेगी। नार्वे की बर्फीली वादियों में फिल्माई गई यह फंतासी फिल्म लायरा के काउटलर की दुनिया से निकल भागने, उसके मंसूबों को असफल करने और दुनिया को एक नए संदेश देने की कहानी है।
देखा जाए तो यह कहानी सुनाने वाले अंदाज में बनाई गई फिल्म है। इसकी वजह है कि जब तक फिल्म अपने और अपने पात्रों के परिचय देती है तब तक हम काफी फिल्म देख चुके होते हैं और काफी देर बाद हम उस दुनिया में पहुँचते हैं जिस पर असल में इसका कथानक नबा गया है। हालांकि फिल्म में निकोल किडमैन इस बार नकारात्मक चरित्र में है, मगर 180 मिनट की इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी भी यह है कि यह बड़ी आसानी से अच्छे चरित्रों को भी रहस्यमय तरीके बुरे पात्रों में बदल देती हैं। इसके बावजूद फिल्म लायरा बनी डकोटा के जरिए हमें एक ऐसी विचित्र, रहस्मई और चमत्कारी दुनिया की सैर कराती है जो कई बार सिहरा देती है। हालांकि जो लोग पहले ही नार्निया या लॉर्ड आफ द रिग्स देख चुकें हैं और जो हैरी पॉटर जैसी श्रृंखलाओं के दीवाने हैं उनहें यह कोई खास रोमांचकारी नहीं लगेगी। लेकिन इसके बावजूद इस फिल्म में कई खासियतें हैं जो इसको उन फिल्मों से अलग करती है।
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