ek nai ghazal

दर्दे ए दिल की दवा कीजिए
आप फिर मुस्करा दीजिए
फूल भेज है खत की तरह्
होंठ से बस लगा लीजिए
पांव नाजुक हैं जल जाएंगे
धूप में ना चला कीजिए
उम्र की प्यास बुझ जाएगी
आंख से गर पिला दीजिए
चलते चलते खो गये रास्ते
मन्जिलों की दुआ कीजिए
दर्द बरसों रहा साथ में
इस को यूं ना जुदा कीजिए
हम तो मिट जांएगे खाक में
लीजिए आजमा लीजिए
पूछता हूं पता हर किसी से
मुझ को मुझ से मिला दीजिए
इश्क करना है गर इक खता
प्यार से ही सजा दीजिए
हाथ कान्धे पे रखा है गर
जिन्दगी भर निभा लीजिए
-pradeep gupta

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