Ek Naya Sher

मैं तेरा गुज्ररा हुआ कल हूं मुझे देख के हैरान न हो ,
ये दिन गर्दिश के भी गुजर जाएंगे परेशन न हो.
इतनी दौलत इतनी शौहरत किस काम की
गर आदमी इक अच्छा इन्सान न हो
जिन्दगी कितनी बे मजा हो जाती है
घर के आंगन में गर बच्चा कोई शैतान न हो
दिल दे दिया है आपको बाकी नहीं कुछ पास मैं
अब खुदा के वास्ते कोई इम्त्तिहान न हो
इस आइने के सारे चेहरे तेरे अपने ही तो हैं
इस तरह देख के तू बे बजह हैरान न हो
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pradeep gupta

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